बंगाल चुनाव 2021: देश के ‘मोदी’ और बंगाल की ‘दीदी’ के दंभ की हार

नवीन रांगियाल
सोमवार, 3 मई 2021 (15:05 IST)
बंगाल में एक बार फ‍िर से टीएमसी की सरकार बनेगी। लेकिन ममता बनर्जी अपनी नंदीग्राम की सीट हार गई। यानि एक तरफ यह भाजपा की हार है तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी की भी निजी हार है। इसलिए इस चुनाव को ऐसे भी देखा जाना चाहिए कि बंगाल के मतदाताओं ने मोदी और दीदी के दंभ और अहंकार को आईना दिखाया है।

पिछले 10 साल तक सरकार में होने के बावजूद बंगाल में विकास, गरीबी और रोजगार को लेकर वहां की हकीकत किसी से छुपी नहीं है। लोग अब भी कोलकाता और हावड़ा से लेकर राज्‍यभर के कई छोटे इलाकों, कस्‍बों और अंचलों से नौकरी-रोजगार के लिए दिल्‍ली और मुंबई का रुख करते हैं। दूसरी तरफ हिंसा पर आधारित बंगाल की राजनीति को भी किसी तरह से झुठलाया नहीं जा सकता। पिछले कुछ महीनों और सालों में लगातार होते राजनीतिक हमले और हत्‍याओं के आंकड़ें देशभर के अखबारों के आर्काइव में मिल जाएंगे।

ऐसे में ममता बनर्जी की हैट्र‍िक से यह समझना चाहिए कि इन सब के बावजूद बंगाल की जनता ममता को अपना लीडर मानती है। इस तीसरी जीत के बदले में ममता बनर्जी अब अपने बंगाल को क्‍या देती है यह सबसे अहम और देखने वाली बात है। देशभर के मीडि‍या को दीदी के तीसरे कार्यकाल पर गहरी निगाह रखना चाहिए। इसके साथ ही ममता बनर्जी को चाहिए कि वे अपने शयनकक्ष में नंदीग्राम से अपनी खुद की सीट से हार जाने की समीक्षा करें।

अब बात देश के सबसे बड़े लीडर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। मोदी ने अपने अति आत्‍मविश्‍वास और अति महत्‍वकांक्षा के चलते अपनी राजनीतिक प्रतिष्‍ठा को दाव पर लगा दिया और इसका परिणाम 3 मई की सुबह देशभर के अखबारों में हम सब ने तस्‍वीरों के साथ देखा और जाना।

जहां कोरोना संक्रमण में राजधर्म निभाते हुए उन्‍हें देशभर में मर रहे लोगों की संख्‍या और शमशानों में लग रही शवों की कतारों को छोटा करना था, ठीक उसी वक्‍त वे बंगाल के अपने चुनावी कर्म में व्‍यस्‍त थे। बंगाल के लोगों ने कम से कम चुनावों के आखि‍री चरणों में तो यह तो देखा ही होगा कि कैसे एक प्रधानमंत्री शेष भारत को लाचार हालत में छोड़कर बंगाल के लिए लालायित हैं।

साल 2002 की बात याद आती है, जब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल ब‍िहारी वाजपेयी ने गुजरात दंगों के बाद एक प्रेसवार्ता में मोदी से कहा था- राजधर्म का पालन कीजिए। तब उनके समीप खिसियाए से बैठे पीमए मोदी ने उन्‍हें जवाब दिया था- वही कर रहे हैं साहब।

मोदी अटल जी की वो सीख भूल गए। उन्‍हें लगा होगा कि आज के आधुनि‍क भारत में अटल जी की यह बात शायद प्रासंग‍िक नहीं होगी। और फ‍िर बात मोदी की स्मृति की भी है; भला करीब 19 साल के लंबे अंतराल के बाद राजधर्म वाली स्टीरियोटाइप बातें कौन और कहां याद रखता है?

सत्‍ता की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे मोदी की यह बड़ी भूल थी। जो समय राजधर्म निभाने के लिए था, वहां चुनावी कर्म था। ग़लत टाइमिंग और विस्मृति के अपने कंसीक्वेंसेस हैं—प्रधानमंत्री मोदी ने अपना एक इंची कद बढ़ाने में ढाई फ़ीट घटा लिया। हालांकि, तकलीफ़ यहीं ख़त्म नहीं होती, कई बार राजनीति के इस नशे में किसी दूसरे का कद अनजाने में ही अपनी बराबरी पर आ जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने वही किया, जिसके राजनीतिक परिणाम आने वाले एक या आधे दशक तक तो समय-समय पर सामने आते ही रहेंगे।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Sindoor के बाद Pakistan ने दी थी न्यूक्लियर अटैक की धमकी, पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी में क्या बोले Vikram Misri, शशि थरूर का भी आया बयान

भारत कोई धर्मशाला नहीं, 140 करोड़ लोगों के साथ पहले से ही संघर्ष कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Manipur Violence : नृशंस हत्या और लूटपाट में शामिल उग्रवादी केरल से गिरफ्तार, एनआईए कोर्ट ने भेजा ट्रांजिट रिमांड पर

ISI एजेंट से अंतरंग संबंध, पाकिस्तान में पार्टी, क्या हवाला में भी शामिल थी गद्दार Jyoti Malhotra, लैपटॉप और मोबाइल से चौंकाने वाले खुलासे

संभल जामा मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका

सभी देखें

नवीनतम

पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं है यह महिला, उच्च न्यायालय ने दिया यह अहम फैसला

पूर्व भाजपा सांसद उदय सिंह बने जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष, प्रशांत किशोर ने किया ऐलान

Operation Sindoor के बाद Pakistan ने दी थी न्यूक्लियर अटैक की धमकी, पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी में क्या बोले Vikram Misri, शशि थरूर का भी आया बयान

Manipur Violence : नृशंस हत्या और लूटपाट में शामिल उग्रवादी केरल से गिरफ्तार, एनआईए कोर्ट ने भेजा ट्रांजिट रिमांड पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 मई को आएंगे भोपाल, महिला सम्मेलन को करेंगे संबोधित, अहिल्याबाई पर जारी करेंगे डाक टिकट

अगला लेख