दिल्ली में विधानसभा चुनाव 8 फरवरी को हाने वाले हैं। इससे पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी (आप) ने दिव्यांगों को ‘जादुई कंबल’ बांटा है, जिसको पाते ही दिव्यांग चलना शुरू कर देते हैं! दरअसल, ये बताने की कोशिश की गई है कि आप पार्टी प्रोपगंडा फैलाने के लिए लोगों को दिव्यांग बताकर कंबल बांटने का दिखावा कर रही है। वायरल वीडियो में व्हील चेयर पर बैठे दिव्यांग को कंबल मिलने के बाद उठकर चलते हुआ देखा जा सकता है।
क्या है वायरल-
वीडियो को शेयर करते हुए Speak Truth ट्विटर अकाउंट से लिखा गया- “AAP प्रचार वीडियो। विकलांगों को कंबल वितरित किए जा रहे हैं। ‘फिल्म’ का निर्देशक ‘कट’ कहना भूल गया और व्यक्ति ने चलना शुरू कर दिया है। जादुई कंबल।”
इस वीडियो को फेसबुक पर भी जमकर शेयर किया जा रहा है।
कई यूजर्स ने इसे भाजपा और कांग्रेस का बताकर भी शेयर किया है।
क्या है सच-
वीडियो में एक बैनर पर ‘डिजिटल साक्षरता संस्थान, कंबल वितरण समरोह’ लिखा हुआ है, तो हमने डिजिटल साक्षरता संस्थान को इंटरनेट पर सर्च किया, तो हमें उसका ट्विटर अकाउंट मिला। दरअसल, डिजिटल साक्षरता संस्थान, उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के सिहोरा का एक एनजीओ है, जो रवि सैनी नामक व्यक्ति द्वारा संचालित है।
इस एनजीओ ने ट्विटर पर एक लोकल न्यूज चैनल ‘अभी तक’ का वीडियो शेयर किया है, जिसमें वायरल ‘जादुई कंबल’ का सच बताया गया है। एनजीओ ने कुछ दिन पहले आंशिक और पूर्ण विकलांगता वाले लोगों को कंबल वितरित किए थे।
इस वीडियो में दिव्यांग व्यक्ति रमेश सिंह ने बताया कि वह 40 प्रतिशत लोकोमोटर विकलांगता से पीड़ित हैं और उनके पास भारत सरकार की ओर से दिया गया विकलांगता प्रमाण पत्र भी है। उन्होंने बताया कि वे एनजीओ के सदस्यों के कहने पर ही कंबल वितरण के समय व्हीलचेयर पर बैठे थे।
एनजीओ संचालक सैनी ने भी वीडियो को सही बताया और आप या किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुड़े होने की बात को गलत ठहराया है।
हालांकि, रवि सैनी के ट्विटर हेडर फोटो में कई भाजपा नेताओं की तस्वीर है और प्रोफाइल फोटो में वे केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद के साथ नजर आ रहे हैं। लेकिन इससे ये नहीं कहा जा सकता है कि ये इवेंट भाजपा का प्रोपगंडा है।
वेबदुनिया की पड़ताल में पाया गया है कि वीडियो में व्हील चेयर पर बैठा शख्स दिव्यांग ही है। ये इवेंट किसी राजनीतिक पार्टी नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के एक एनजीओ द्वारा आयोजित किया गया था।