सोशल मीडिया पर इन दिनों एक अखबार की कटिंग काफी वायरल हो रही है, जिसमें एक विज्ञापन है। इस विज्ञापन के जरिये मुस्लिम समुदाय के लोगों ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मुस्लिम तीर्थ स्थलों को धार्मिक पर्यटन सर्किट बनाने के लिए 100 करोड़ रुपए के बजट की मंजूरी देने के लिए धन्यवाद दिया है। इसे शेयर कर यूजर्स राजस्थान सरकार को हिंदू विरोधी बता रहे हैं। दावा है कि गहलोत सरकार ने एक ओर जहाँ बीते वर्ष खाटूश्याम जी के मेले में भंडारों पर भी टैक्स लगाया, वहीं दूसरी ओर अब मुस्लिम दरगाहों को पर्यटन सर्किट बनाने के लिए 100 करोड़ का बजट मंजूर कर दिया।
क्या है वायरल-
ट्विटर पर अखबार की कटिंग शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, “बीते वर्ष खाटूश्याम जी मेले में भंडारों पर टैक्स लगाने वाली राजस्थान सरकार। आज राजस्थान में मुस्लिम दरगाहों को पर्यटन सर्किट बनाने के लिए 100 करोड़ का बजट मंजूर कर दिया।”
वहीं, एक अन्य यूजर लिखते हैं, “ये है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिन्हें हमारे प्रभु श्री राम जी के मंदिर के लिए रुपये तो छोड़ो शुभकामनाएं देने मे भी शर्म आती हैं और यहां 100 करोड़ का बजट! यही है कांग्रेस का असली चेहरा!!”
फेसबुक पर भी इस कटिंग को शेयर कर इसी तरह के दावे किए जा रहे हैं।
क्या है सच-वायरल दावे की पड़ताल शुरू करते हुए हमने राजस्थान सरकार के बजट को खंगालना शुरू किया।
बजट के पेज नंबर 74 और 75 पर लिखा हुआ है कि राज्य में सर्वधर्म समभाव को बढ़ावा देने लिए हिंदू, जैन, सिख व मुस्लिम धर्म के तीर्थस्थलों के धार्मिक पर्यटन सर्किट बनाने हेतु राज्य सरकार 100 करोड़ रूपए खर्च करेगी। इससे स्पष्ट है कि राजस्थान में 100 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले धार्मिक पर्यटन सर्किट में सभी धर्मों के तीर्थस्थलों को शामिल किया गया है।
वेबदुनिया की पड़ताल में सामने आया कि वायरल दावा गलत है। राजस्थान सरकार ने सिर्फ मुस्लिम तीर्थस्थलों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी नहीं दी है। सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों को पर्यटन सर्किट में शामिल करने की योजना बनाई है।