सोशल मीडिया पर इन दिनों एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि अगर किसी नौकरीपेशा व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत होती है, तो सरकार उसके परिवार को मुआवजा देने के लिए बाध्य है। फेसबुक यूजर ज़ाकिर शोहरब ने यह मैसेज पोस्ट किया था, जिसे अब तक 57 हज़ार बार शेयर किया जा चुका है। चूंकि इनकम टैक्स और इससे जुड़ी चीजों के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती है, तो सोशल मीडिया स्कूल के विद्यार्थियों को जैसे ही यह नया ज्ञान मिला, उन्होंने फटाफट यह ज्ञान बांटना शुरू कर दिया।
क्या है वायरल मैसेज में..
वायरल मैसेज में कहा गया है-
‘अगर किसी व्यक्ति की accidental death होती है और वह व्यक्ति पिछले तीन साल से लगातार इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर रहा था तो उसकी पिछले तीन साल की एवरेज सालाना इनकम की दस गुना राशि उस व्यक्ति के परिवार को देने के लिए सरकार बाध्य है।
जी हाँ, आपको आश्चर्य हो रहा होगा यह सुनकर लेकिन यह बिलकुल सही सरकारी नियम है, उदहारण के तौर पर अगर किसी की सालाना आय क्रमशः पहले दूसरे और तीसरे साल चार लाख पांच लाख और छः लाख है तो उसकी औसत आय पांच लाख का दस गुना मतलब पचास लाख रूपए उस व्यक्ति के परिवार को सरकार से मिलने का हक़ है।
ज़्यादातर जानकारी के अभाव में लोग यह क्लेम सरकार से नहीं लेते हैं।
जाने वाले की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता है लेकिन अगर पैसा पास में हो तो भविष्य सुचारू रूप से चल सकता है।
अगर लगातार तीन साल तक रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो ऐसा नहीं है कि परिवार को पैसा नहीं मिलेगा लेकिन ऐसे केस में सरकार एक डेढ़ लाख देकर किनारा कर लेती है लेकिन अगर लगातार तीन साल तक लगातार रिटर्न फ़ाइल किया गया है तो ऐसी स्थिति में केस ज़्यादा मजबूत होता है और यह माना जाता है कि मरने वाला व्यक्ति अपने परिवार का रेगुलर अर्नर था और अगर वह जिन्दा रहता तो अपने परिवार के लिए अगले दस सालो में वर्तमान आय का दस गुना तो कमाता ही जिससे वह अपने परिवार का अच्छी तरह से पालन पोषण कर पाता।
सब सर्विस वाले लोग हैं और रेगुलर अर्नर हैं लेकिन बहुत से लोग रिटर्न फ़ाइल नहीं करते है जिसकी वजह से न तो कंपनी द्वारा काटा हुआ पैसा सरकार से वापस लेते हैं और न ही इस प्रकार से मिलने वाले लाभ का हिस्सा बन पाते हैं।
इधर जल्दी में हमारे कई साथी/भाई एक्सीडेंटल डेथ में हमारा साथ छोड़ गए लेकिन जानकारी के अभाव में उनके परिवार को आर्थिक लाभ नहीं मिल पाया।
अगर आप को कोई शंका है तो आप भी अपने वकील से पूरी जानकारी लें और रिटर्न जरूर फ़ाइल करें’।
क्या है सच..
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के अनुसार, सड़क दुर्घटना होने पर परिवार को मुआवजा मिलने के लिए मरने वाले व्यक्ति की ओर से आईटीआर भरे जाने या फिर न भरे जाने का कोई लेना-देना नहीं है। अगर व्यक्ति नौकरीपेशा है और उसकी मृत्यु सड़क दुर्घटना में होती है तो उसका परिवार मोटर व्हीकल ट्राइब्यूनल में मुआवजे का दावा कर सकता है। इसके बाद ट्राइब्यूनल तय करेगा कि परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए या नहीं और दिया जाना चाहिए तो कितना।
मुआवजे की राशि को तय करते समय मरने वाले व्यक्ति की आय को भी एक पैमाना माना जाता है। लेकिन इस ट्राइब्यूनल में सरकार कोई पार्टी नहीं होती है। इसलिए सरकार का इससे लेना-देना नहीं होता है। यह केस इंश्योरेंस कंपनी और पीड़ित पक्ष के बीच होता है।
हमारी पड़ताल में वायरल हो रहा यह मैसेज झूठा साबित हुआ।