जहां एक ओर मध्य प्रदेश के मंदसौर की 7 साल की मासूम के साथ हुई दरिंदगी पर देशभर में आक्रोश है, वहीं कुछ असामाजिक तत्व इस जघन्य घटना का इस्तेमाल समाज में जहर का बीज बोने के लिए कर रहे हैं। ट्विटर और फेसबुक पर एक वेबसाइट का आलेख जंगल की आग की तरह फैल रही है, जिसमें दावा किया गया है कि मंदसौर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कुरान का हवाला देते हुए रेप के आरोपी के कृत्य को जायज करार दिया है और उसकी रिहाई की मांग करते हुए सड़क पर रैली निकाली।
क्या है वायरल मैसेज..
सोशल मीडिया पर वेबसाइट www.indiaflare.com का एक आलेख तेजी से वायरल हो रहा है, जिसका शीर्षक है - ‘क़ुरान में दूसरे धर्म की लड़कियों से बलात्कार जायज़, इरफ़ान खान को रिहा करो’। इस आलेख में एक फोटो भी है जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग रैली करते नजर आ रहे हैं और हाथों में प्लेकार्ड्स हैं जिसपर लिखा है – ‘इरफान को रिहा करो’। 1 जुलाई को प्रकाशित इस आलेख को अब तक 16000 से अधिक बार शेयर किया जा चुका है।
क्या है सच..
जब हमने वह वायरल फोटो को गूगल इमेज में सर्च किया तो हमें पता चला कि मंदसौर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रैली तो निकाली थी, लेकिन आरोपी की रिहाई के लिए नहीं, बल्कि उसको फांसी की सजा देने के लिए। असल फोटो में लोगों के हाथों में जो प्लेकार्ड्स हैं, उनपर लिखा है- ‘नहीं सहेंगे बेटी पर वार, बंद करो ये अत्याचार’, ‘दरिंदे को फांसी दो’। लेकिन हिन्दू-मुस्लिम के बीच सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की साजिश रचते हुए कुछ लोगों ने फोटोशॉप कर इस फोटो की कहानी ही बदल दी। अब यह साफ है कि मंदसौर के मुस्लिम समुदाय द्वारा रेप आरोपी की रिहाई के लिए रैली करने का दावा झूठा है।
Photo source: Facebook
न्यूज रिपोर्टों के अनुसार, मंदसौर के मुस्लिम समुदाय ने आरोपियों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है और आरोपियों के शरीर को जिले में किसी भी कब्रिस्तान में नहीं दफनाने का ऐलान किया है। मुस्लिम नेताओं ने भी कहा कि आरोपियों की मृत्यु पर उसकी नमाज ए जनाजा का भी बहिष्कार किया जाएगा। मंदसौर के वकीलों ने भी उनके मामले की पैरवी से मना कर दिया है।