ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत करने की परंपरा है।
- विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं।
- वृक्ष का पूजन करके ही सावित्री ने सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी।
- वट सावित्री व्रत की तरह ही इस दिन भी 16 श्रृंगार करें।
- पूर्णिमा व्रत के दिन सात्विक आहार और विशेषकर मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत करने की परंपरा है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं। इस व्रत के प्रभाव से महिलाओं को पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत और कुछ जगहों पर ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत करने की परंपरा है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं। वहीं अनेक स्थानों पर यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या के दिन से लेकर ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि तक किया जाता है। कहा जाता है कि वट वृक्ष का पूजन करके ही सावित्री ने सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। इसलिए तभी से पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत का विधान प्रारंभ हो गया था। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से महिलाओं को पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है।
आइए जानते हैं वट पूर्णिमा व्रत साल 2021 में कब है... पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में भी हम आपको बताएंगे....
वट पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त
वट पूर्णिमा व्रत 24 जून 2021, दिन बृहस्पतिवार को रखा जाएगा।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 24 जून सुबह 03ः32 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त 25 जून सुबह 12: 09 बजे पर
वट पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। वट सावित्री व्रत की तरह ही इस दिन भी 16 श्रृंगार करें। इसके बाद वट वृक्ष की पूजा करें। बरगद के पेड़ में जल अर्पित कर पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं। अब वट वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करें। वट वृक्ष की परिक्रमा करें और अपने घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।
वट पूर्णिमा व्रत के दिन महा उपाय भी किए जाते हैं आइए जानते हैं ....
- इस दिन पूजा के बाद श्रृंगार का सामान किसी अन्य सुहागन महिला को देना चाहिए।
- इस दिन बरगद के पेड़ में कच्चा दूध चढ़ाने से योग्य वर और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तथा विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- वट पूर्णिमा व्रत के दिन सात्विक आहार और विशेषकर मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए।
- इसके बाद भीगे हुए चनों का बायना निकालकर,उस पर रुपये रखकर सास के चरण स्पर्श कर देना चाहिए।
- व्रत के बाद फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करनी चाहिए।