Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बदल जाता है पिरामिड में रखी वस्तुओं का गुण, लंबी उम्र का राज भी यही है?

हमें फॉलो करें बदल जाता है पिरामिड में रखी वस्तुओं का गुण, लंबी उम्र का राज भी यही है?

अनिरुद्ध जोशी

पिरामिड वास्तु का एक चमत्कारिक और अद्भुत नमूना है। इसके संबंध में कई तरह की बातें प्रचलित हैं। वास्तु शास्त्र में पिरामिड के महत्व को बताया गया है। बहुत से लोगों का मानना है कि जैसे फ्रीज में रखी वस्तुओं का गुण धर्म बदल जाता है उसी तरह पिरामिड में रखी वस्तुओं का गुण धर्म बदल जाता है। आओ जानते हैं कि पिरामिड के क्या है साइंटिफिक कारण।
 
 
1. पिरामिड पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि सभी पिरामिड उत्तर-दक्षिण एक्सिस पर बने हैं अर्थात उन सभी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के प्रभाव को जानकर बनाया गया है। इसका भू-चुम्बकत्व एवं ब्रह्मांडीय तरंगों से विशिष्ट संबंध है। उत्तर-दक्षिण गोलार्धों को मिलाने वाली रेखा पृथ्वी की चुम्बक रेखा है। चुम्बकीय शक्तियां विद्युत-तरंगों से सीधी जुडी हुई हैं, जो यह दर्शाती हैं कि ब्रह्मांड में बिखरी मैग्नेटोस्फीयर में विद्यमान चुम्बकीय किरणों को संचित करने की अभूतपूर्व क्षमता पिरामिड में है। यही किरणें एकत्रित होकर अपना प्रभाव अंदर विद्यमान वस्तुओं या जीवधारियों पर डालती हैं। इन निर्माणों में ग्रेनाइट पत्थर का उपयोग भी सूक्ष्म तरंगों को अवशो‍षित करने की क्षमता रखता है। इससे यह सिद्ध होता है कि प्राचीन लोग इसके महत्व को जानते थे। मतलब यह कि पिरामिड में रखी वस्तु या जीव की गुणवत्ता और उम्र में इससे कोई फर्क पड़ता होगा।
 
2. विशेषज्ञों के अनुसार पिरामिड की आकृति उत्तर-दक्षिण अक्ष पर रहने की वजह से यह ब्रह्मांड में व्याप्त ज्ञात व अज्ञात शक्तियों को स्वयं में समाहित कर अपने अंदर एक ऊर्जायुक्त वातावरण तैयार करने में सक्षम है, जो जीवित या मृत, जड़ व चेतन सभी तरह की चीजों को प्रभावित करता है।
 
3. घरेलू पिरामिडों का शुभारंभ फ्रांसीसी वैज्ञानिक मॉसियर बॉक्सि के प्रयोग के साथ हुआ। माना जाता है कि किसी भी प्रकार के पिरामिड में रखी वस्तुओं के गुण धर्म में बदलाव आ जाता है अर्थात यदि किसी प्रकार के छोटे, बड़े, लकड़ी या मात्र कागज के पिरामिड में कोई खाद्य सामग्री रखी जाए तो उसके गुणों में बदलाव आ जाएगा और वह बहुत देर तक सड़ने से बची रहेगी। इसी कारण प्राचीन लोग अपने परिजनों के शवों को पिरामिड में रखते थे।
 
4. प्रयोग के लिए बताया जाता है कि जिस चीज को छोटे-बड़े पिरामिड के अंदर रखना हो, उसे आधार से करीब 2-3 इंच की ऊंचाई पर पिरामिड के मध्य में रखकर अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। पिरामिड के अंदर मध्यक्षेत्र में रखी चीजों पर पिरामिड का जादुई प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। यह क्षेत्र पिरामिड के मध्य में उसकी कुल ऊंचाई की एक-तिहाई ऊंचाई पर स्थित होता है।
 
5. पिरामिड की सही दिशा का निर्धारण बहुत ही महत्वपूर्ण है अतः इसका इस्तेमाल करते समय पिरामिड को उत्तर-दक्षिण दिशा में रखना आवश्यक है। अगर गलती से पिरामिड का सही दिशा में रखकर इस्तेमाल न किया जाए, तो उसमें बैठने वाले को सिरदर्द हो सकता है।
 
6. इस संदर्भ में अनुसंधान कर रहे चिकित्सा विशे‍‍षज्ञों का कहना है कि सिरदर्द और दांत दर्द के रोगी को सही दिशा में रखे पिरामिड के अंदर बिठाने पर वे दर्दमुक्त हो जाते हैं। गठिया, वातरोग, पुराना दर्द भी इस संरचना में संघनित ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रभाव से दूर हो जाते हैं। पेड़-पौधों पर पिरामिड के प्रभाव के अध्ययन से भी नि‍ष्कर्ष सामने आया है कि एक ही प्रकार के पौधों को अंदर तथा बाहर के वातावरण में रखने पर पिरामिड के अंदर वे कहीं ज्यादा तेजी से पनपते हैं। उसकी ऊर्जा तरंगें वनस्पतियों की वृद्धि पर सूक्ष्म एवं तीव्र प्रभाव डालती हैं।
 
7. पिरामिड के अंदर रखे जल को पीने वाले पाचन संबंधी रोग से कुछ हद तक मुक्ति पाते देखे गए हैं। यही जल जब त्वचा पर लगाया जाता है तो झुर्रियां मिटाने में लाभ मिलता है। घावों को जल्दी भरने में भी इस जल का उपयोग किया जाता है। दूसरी ओर पिरामिड के अंदर बैठकर ध्यान-साधना करने वाले साधकों पर भी कुछ प्रयोग-परीक्षण हुए हैं। पाया गया है कि इसके अंदर बैठने पर तनाव से सहज ही छुटकारा मिल जाता है और शरीर में एक नई स्फूर्ति के संचार का अनुभव होता है।
 
8. पिरामिड के अंदर किसी तरह की आवाज या संगीत बजाने पर बड़ी देर तक उसकी आवाज गूंजती रहती है। इससे वहां उपस्थित लोगों के शरीर पर विचित्र प्रकार के कम्पन पैदा होते हैं, जो मन और शरीर दोनों को शांति प्रदान करते हैं।
 
9. बीजों को बोने के पहले अगर थोड़ी देर के लिए पिरामिड के अंदर रख दिया जाए तो वे जल्दी और अच्छी तरह से अंकुरित होते हैं। बीमार और सुस्त पौधों को भी पिरामिड द्वारा ठीक और उत्तेजित किया जा सकता है।
 
10. प्राचीन भारत में मंदिर और घर पिरामिड के आकार के ही बनते थे। आज भी दक्षिण भारत में यह मंदिर और घर देख जाते हैं। इस तरह के घरों में रहने से रहने वाले लोगों की उम्र लंबी होने और सेहतमंद बने रहने की बात को माना जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इंदौर में छठ पूजा को लेकर दो गुटों में बंटा समाज