Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भारत के नए संसद भवन में खतरनाक वास्तु दोष, देश में फैलेगी अराजकता, सीमाओं पर भड़केगा युद्ध

Advertiesment
हमें फॉलो करें parliament

WD Feature Desk

, मंगलवार, 12 अगस्त 2025 (14:52 IST)
गुलामी की निशानी से मुक्त होने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने दिल्ली में ही नया संसद भवन बनाया है। नए संसद भवन में मंगलवार 19 सितंबर 2023 से विशेष सत्र की कार्यवाही शुरू हुई। पुराने संसद भवन का वास्तु मध्यप्रदेश के मुरैना में स्थिति 64 योगिनी मंदिर से प्रेरित था जबकि नए संसद भवन का वास्तु मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में स्थित चालुक्य वंश के विजय मंदिर से लिया गया है जोकि त्रिभुजाकार है। इसे पहले भेल्लिस्वामिन नाम दिया गया था जिसका अर्थ है सूर्य का मंदिर। बाद में यह भेलसानी और भेलसा हो गया। हालांकि यह मंदिर अब खंडहर हो चुका है। फिर भी कई ज्योतिषियों का मानना है कि नया संसद भवन में वास्तु दोष से जिसके चलते देश में स्थिरता नहीं रह सकती।
 
नए संसद भवन का वास्तु: त्रिभुजाकार के प्लाट पर त्रिभुजाकार बने नए संसद भवन में एंट्री के लिए 6 द्वार बनाए गए हैं। पहले तीन द्वार पर अश्व, गज और गरुड़ की प्रतिमा है। हिंदी में इनका नाम ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार रखा गया है। अश्व द्वार, गरुड़ द्वार, मकर द्वार, शार्दुल गेट, गजद्वार और हंस द्वार- सभी की वास्तु संरचना भिन्न भिन्न है। 
 
क्या नए संसद भवन में है ये वास्तु दोष?
1. ज्योतिष मानते हैं कि नए संसद भवन का प्लॉट ही सड़कों के कारण त्रिभुजाकार है। भारतीय वास्तुशास्त्र में केवल वर्गाकार या आयताकार प्लॉट को ही शुभ बताया गया है, त्रिकोण आकार के प्लॉट को नहीं। त्रिभुजाकार प्लाट के कारण प्लॉट के अंदर त्रिभुजाकार भवन का निर्माण किया गया है। 
 
2. वास्तुशास्त्र के अनुसार, त्रिभुजाकार प्लॉट पर बने भवन में रहने वाले निरंतर अपने शत्रुओं से घिरे रहकर परेशान ही रहते हैं। यदि हम इसे देश के संदर्भ में माने तो यह शत्रु देश के अंदर के भी हो सकते हैं और देश के बाहर के भी हो सकते हैं। यह भवन में रहने वालों के बीच भी कलह पैदा करता है। यह गृहकलेश का घर है।
 
3. वास्तुशास्त्री यह भी मानते हैं कि भवन की उत्तर दिशा में जहां एक ओर उत्तर के साथ मिलकर उत्तर-वायव्य का बढ़ाव है, वहीं दूसरी ओर दक्षिण दिशा में दक्षिण दिशा के साथ मिलकर दक्षिण-नैऋत्य का बढ़ाव है जबकि पूर्व और पश्चिम दिशा सीधी है। ऐसे भवन में उत्तर दोष के कारण आर्थिक स्थिति खराब रहती है और दक्षिण-नैऋत्य दोष के कारण देश में भय और अकाल मृत्यु का योग बनता रहता है। वायव्य दोष के कारण अपमान, मानसिक अशांति और दुख बना रहता है। संतान को भी कष्ट होता है। 
 
4. जिसके तीनों कोण बराबर हो तीनों सीमाओं की दूरी भी बराबर हो उसे त्रिभुजाकार या त्रिकोणाकार भूमि कहेंगे। इस प्रकार की भूमि कष्ट, दुख, कलेश एवं कलह कारक होती हैं। इसमें रहने वाले को दैवी आपदा झेलनी पड़ती है। त्रिकोणीय भवन गृहस्वामी के विनाश का हेतु, कलह कारक तथा आपसी सामंजस्य के विरोधी होते हैं।
 
उल्लेखनीय है कि पुराने संसद भवन में 90 के दशक में कुछ तोड़फोड़ और निर्माण किया गया था। इसके बाद से देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना रहा था। अटलजी के कार्यकाल में इस वास्तु दोष को सुधारा गया था। इसके बाद से ही देश ने उन्नति प्रारंभ की थी।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जन्माष्टमी पर अपनाएं श्री कृष्ण नीति के ये 5 गुण, सफलता चूमेगी आपके कदम