Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

आपके घर पर पड़ने वाली छाया से हो सकते हैं 5 नुकसान

हमें फॉलो करें आपके घर पर पड़ने वाली छाया से हो सकते हैं 5 नुकसान

अनिरुद्ध जोशी

वास्तु शास्त्र में कई तरह के वेध बताए गए हैं। जैसे, स्तंभवेध, वृक्षवेध आदि। उन्हीं में से एक है छायावेध। छायावेध अर्थात घर पर पड़ने वाली छाया से किसी प्रकार का वास्तुदोष निर्मित होना। यह छाया अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी। ज्योतिष में छाया को राहु और केतु माना गया है। छायावेध के कारण परिवार में रहने वाले सदस्य अक्सर बीमार रहते हैं, कभी-कभी यह रोग घातक भी होते हैं, जैसे- मन्द बुद्धि, हृदय रोग, लकवा आदि गंभीर रोग हो सकते हैं। छायावेध के कारण गृहपति का विनाश हो सकता है या सभी तरह की उन्नती रुक सकती है।
 
 
हालांकि यह देखना जरूरी होता है कि घर के उपर किसकी छाया पड़ रही है और किस दिशा से और किस प्रहर में छाया होती है। उसी से लाभ या नुकसान का पता चलता है। यह छाया मंदिर, पेड़, पहाड़, ध्वज, मकान आदि की हो सकती है। यदि 10 से 3 बजे के बीच किसी मंदिर, नकारात्मक वृक्ष, ध्वज, अन्य ऊंचा भवन, पहाड़, स्तूप, खंभे आदि की छाया पड़े तो इसे छायावेध कहते हैं। छाया 2 प्रहरसे ज्यादा लगभग 6 घंटे मकान पर पड़ती है तो वास्तुशास्त्र में उसे छाया वेध कहते हैं। अत: सभी प्रकार के वेध जानकर ही गृह का निर्माण करें। छायावेध मुख्यतः पांच प्रकार का होता है। 1.मंदिर, 2.वृक्ष, 3.पर्वत, 4.भवन और 4. ध्वज।
 
 
1.ध्वज छाया : मंदिर से 100 फीट की दूरी के भीतर बनाए गए मकान ध्वज छाया वेध से पीड़ित रहते हैं, परंतु यह निर्भर करता है मंदिर की ऊंचाई और ध्वज की ऊंचाई पर क्योंकि हो सकता है कि मंदिर छोटा हो और उसके ध्वज की छाया आपके मकान पर नहीं पड़ रही हो। अगर मंदिर की ध्वजा की ऊंचाई से दो गुनी जगह छोड़कर घर बना हो तो दोष नहीं लगता।
 
2.मंदिर छाया : यदि मकान पर प्रातः 10 बजे से 3 बजे तक किसी मंदिर की छाया पड़ रही है तो इसको छाया वेध कहा जाता है। इस तरह के छायावेध के कारण परिवार में अशांति, व्यापार में नुक्सान और विवाह व संतान में देरी बनी रहती है।
 
 
3.पर्वत छाया : यदि आपके घर के पास पहाड़, पहाड़ी या कोई टिला है जिसकी छाया आपके भवन पर पड़ रही है तो यह भी देखना होगा कि किस दिशा से पड़ रही है। किसी भी भवन के पूर्व दिशा में स्थित पर्वत की छाया मकान पर पड़ना ही पर्वत छाया वेध कहलाता है बाकि दिशाओं से कोई असर नहीं होता है। पर्वत छाया वेध के कारण मुख्य रूप से प्रगति में रूकावट आती है और लोकप्रियता घटती है। 
 
4.भवन छाया वेध : यदि आपके मकान से कोई दूसरा बड़ा मकान है तो उसकी छाया आपके मकान पर रहेगी। लेकिन इसमें दिशा का ज्ञान होना भी जरूरी है। मकान की छाया यदि आस-पास किसी बोरिंग या कुंए पर पड़ती है तो इसको भवन छाया वेध कहा जाता है, इस प्रकार के वेध के कारण धन हानि होती होती है। यह भी कहा जाता है कि एक घर से दूसरे घर में वेध (छायावेध) पड़ने पर गृहपति का विनाश होता है।
 
 
5.वृक्ष छाया वेध : प्रातः 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक यदि किसी वृक्ष की छाया मकान पर पड़ती है तो ही यह नुकसान दायक होती है। इसमें भी दिशा का ज्ञान होना जरूरी है। इस वेध से उन्नति रुक जाती है। घर की आग्नेय दिशा में वट, पीपल, सेमल, पाकर तथा गूलर का वृक्ष होने से पीड़ा और मृत्यु होती है। नकारात्मक वृक्षों की छाया से रोग और शोक निर्मित होते हैं। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या बारिश के पानी से कर्ज उतारा जा सकता है?