गृहदोष हो या वास्तुदोष... इसे दूर करने के लिए लोग जाने क्या क्या उपाय करते हैं, लेकिन जानकारों की माने तो छिंदवाड़ा जिले के शत-प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले पातालकोट के गांवों में एक ऐसा दिव्य पौधा पाया जाता है, जिसमें वास्तुदोष के निराकरण की सभी खूबियां मौजूद हैं।
जानकार बताते हैं कि इसे घर पर रखने भर की जरुरत है। पौधे की खासियत है कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक इस दिव्य पौधे की पत्तियां घड़ी के कांटे की तरह हर सेकंड घूमती रहती हैं। इसलिए स्थानीय आदिवासी इसे ‘घड़ी कांटा पौधा’ के नाम से पुकारते हैं।
लम्बे समय से इस पौधे की खूबियां सुनाते आ रहे वनकल्याण आयुर्वेद संस्थान के वैद्य प्रीतम डोगरे को यह पौधा छिंदवाड़ा जिले के तामिया विकास ब्लॉक के पातालकोट में लाल घाटी के नीचे जड़ी-बूटियों की खोज के दौरान प्राप्त हुआ।
डोगरे अब दिव्य पौधे को अपने तंसरामाल (उमरानाल) स्थित आवास पर ले आए हैं। वे कहते हैं कि इसे झारिया जनजाति के बुजुर्ग तंत्र-मंत्र के साथ वशीकरण के लिए उपयोग में लाते हैं।
लोगों की माने तो मानसिक रोगियों पर भी इसकी पत्ती या जड़ रामबाण दवा का काम करती हैं, जिसके चलते यह पौधा अब विलुप्त प्रजाति का हो गया है।