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वसंत पंचमी 2018 : मां सरस्वती के पूजन की सरलतम विधि

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विद्या, कला, सृजन, संगीत, वाणी, लेखनी, प्रेम, सौभाग्य और ऐश्वर्य की देवी मां सरस्वती से शुभ आशीष प्राप्त करन का दिन है वसंत(बसंत)पंचमी।  पूजन की सरलतम विधि है...   
 
दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के उपरांत मां भगवती सरस्वती की आराधना का संकल्प लेना चाहिए। 
 
माघ मास की पंचमी तिथि, दिनांक 22 जनवरी 2018 को सुबह 7.17 से दोपहर 12.32 बजे तक पूजन का शुभ समय माना गया है। 
 
स्नान के बाद भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए। 
 
स्कंद पुराण के अनुसार सफेद पुष्प, चन्दन, श्वेत वस्त्रादि से देवी सरस्वती जी की पूजा करना चाहिए। 
 
सरस्वती जी का पूजन करते समय सबसे पहले उनका स्नान कराना चाहिए इसके पश्चात माता को सिन्दूर व अन्य श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
 
इसके बाद फूल माला चढ़ाएं। 
 
संगीत के क्षेत्र में हैं तो वाद्य यंत्रों की पूजन करें और अध्ययन से नाता है तो समस्त विद्या सामग्री कलम, किताब, नोटबुक आदि का पूजन करें। 
 
संभव हो सके तो मोर का पंख मां सरस्वती को चढ़ाएं। 
 
आंगन में रंगोली सजाएं। 
 
आम्र मंजरी भी देवी को अर्पित करें।  
 
वासंती खीर या केशरिया भात का भोग लगाएं। 
 
स्वयं भी केशरिया, पीले, वासंती या श्वेत परिधान पहनें। 
 
फूलों से मां सरस्वती पूजन स्थल का श्रृंगार करें। 
 
मां शारदा की आरती, सरस्वती मंत्र आदि से आराधना करें। 
 
पीले चावल से ॐ लिखें और उसका भी पूजन करें।  
 
देवी सरस्वती का मंत्र : श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा
 
सरल प्रार्थना :  शारदा माता ईश्वरी, मैं नित सुमरि तोहे, हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोहे 

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