Basant Panchami: बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की पूजा अक्सर स्कूलों में और उन दफ्तर या संस्थानों में होती है जहां पर लेखन, गायन और वादन का कार्य होता है। वैसे तो देश में माता सरस्वती के बहुत ही कम मंदिर है। फिर भी वसंत पंचमी पर जानिए देश के 10 प्रसिद्ध सरस्वती के मंदिर जहां पर जाने होंगी आपकी मनोकामनाएं पूर्ण।
1. भीम पुल सरस्वती मंदिर : उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम से 3 किलोमीटर आगे माता सरस्वती का उद्गम स्थल है। कहते हैं कि यहां पर माता सरस्वती प्रकट हुए थी। यही पर भीम पुल के नीचे से माता सरस्वती निकलती है और यहीं नीचे धरातल में लुप्त भी हो जाती है। यहीं पर माता सरस्वती का एक दिव्य मंदिर बना हुआ है।
2. बासरा सरस्वती मंदिर : आंध्र प्रदेश में आदिलाबाद जिले के मुधोल क्षेत्र में है बासर गांव। गोदावरी के तट पर बने इस गांव में है विद्या के देवी मां सरस्वती जी का विशाल मंदिर जिसे महाभारत के रचयिता महाऋषि वेद व्यास ने बनवाया था। इस मंदिर के निकट ही वाल्मीकि जी की संगमरमर की समाधि बनी है। मंदिर में केंद्रीय प्रतिमा सरस्वती जी की है, साथ ही लक्ष्मी जी भी विराजित हैं। सरस्वती जी की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में 4 फुट ऊंची है। मंदिर के पूर्व में निकट ही महाकाली मंदिर है और लगभग एक सौ मीटर दूर एक गुफा है। यहीं एक अनगढ़ सी चट्टान भी है, जहां सीताजी के आभूषण रखे हैं। बासर गांव में 8 ताल हैं जिन्हें वाल्मीकि तीर्थ, विष्णु तीर्थ, गणेश तीर्थ, पुथा तीर्थ कहा जाता है।
3. पुष्कर का सरस्वती मंदिर : राजस्थान में पुष्कर नामक प्रसिद्ध स्थान है जहां पर ब्रह्मा जी का एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर है। यहीं पर विद्या की देवी सरस्वती का भी मंदिर है। यहां पर माता सावित्र का मंदिर भी है। मान्यता है कि यहां पर माता सरस्वती नदी के रूप में भी विराजमान हैं। यहां उन्हें उर्वरता व शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।
4. श्रृंगेरी का शारदा मंदिर : चार पीठों में से एक श्रृंगेरी में एक पीठ है। श्रृंगेरी में माता शारदा का प्रसिद्ध मंदिर है जिसे शरादाम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है। शरादाम्बा मंदिर और दक्शनाम्नाया पीठ को आचार्य श्री शंकर भागावात्पदा द्वारा 7 वीं शताब्दी में बनाया गया था।
5. मूकाम्बिका मंदिर : केरल के एरनाकुलम जिले में माता सरस्वती का मंदिर है जिसे मूकाम्बिका का मंदिर कहा जाता है। कथा के अनुसार यहां के राजा देवी मूकाम्बिका की पूजा करते थे। इसके लिए वे हर साल मंगलौर के कोल्लूर मंदिर में जाते थे। राजा जब बूढे हो गए तो वहां जाने में परेशानी होने लगी। भक्त की परेशानी को समझकर माता सपने में आई और उनका मंदिर बनाने का कहा। यहां देवी सरस्वती की मूर्ति पूर्व दिशा की ओर मुंह करके विराजमान है। मंदिर में जनवरी और फरवरी महीने में उत्सव मनाना जाता। यहां पर बच्चों का विद्यारंभ संस्कार किया जाता है।
6. मैहर का शारदा मंदिर : मैहर का शारदा मंदिर वैसे तो माता कालिका का मंदिर है परंतु इसे मां सरस्वती का मंदिर भी माना जाता है। यह स्थान मध्यप्रदेश के सतना शहर के पास करीब त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है। मां सरस्वती यहां पर मां शारदा के रूप में विराजमान हैं।
7. भोजशाला धार : मध्यप्रदेश के धार नगर में स्थित एक भोजशाला है जहां पर प्रतिवर्ष बसंत पंचमी पर सरस्वती माता के आराधकों का मेला लगता है। इस स्थान पर मां सरस्वती की विशेष रूप से इस दिन पूजा-अर्चना होती है। राजा भोज सरस्वती माता के भक्त थे। यह विवादित स्थल माना जाता है।
8. वारंगल श्री विद्या सरस्वती मंदिर : आंध्र प्रदेश के मेंढक जिले के वारंगल में स्थित है हंस वाहिनी विद्या सरस्वती मंदिर। कांची शंकर मठ मंदिर का रखरखाव करता है। इसी स्थान पर अन्य देवी-देवताओं के मंदिर जैसे श्री लक्ष्मी गणपति मंदिर, भगवान शनीश्वर मंदिर, और भगवान शिव मंदिर निर्मित हैं।