वसंत पंचमी पर पौराणिक विधि से पूजन नहीं कर सकते तो यह सरल पूजन विधि आपके लिए है

Webdunia
सृष्टि के निर्माण के समय सबसे पहले महालक्ष्मी देवी प्रकट हुईं। उन्होंने भगवान शिव, विष्णु एवं ब्रह्माजी का आह्वान किया। जब ये तीनों देव उपस्थित हुए, तब देवी महालक्ष्मी ने तीनों देवों से अपने-अपने गुण के अनुसार देवियों को प्रकट करने का अनुरोध किया।
 
भगवान शिव ने तमोगुण से महाकाली, भगवान विष्णु ने रजोगुण से देवी लक्ष्मी तथा ब्रह्माजी ने सतोगुण से देवी सरस्वती का आह्वान किया। जब ये तीनों देवियां प्रकट हुईं, तब जिन-जिन देवों ने जिन-जिन देवियों का आह्वान किया था उन्हें उन-उन देवी को सृष्टि संचालन हेतु महालक्ष्मी ने भेंट कर दिया। इसके पश्चात स्वयं महालक्ष्मी माता लक्ष्मी के स्वरूप में समा गईं।
 
सृष्टि का निर्माण कार्य पूरा करने के बाद ब्रह्माजी ने जब अपनी बनाई हुई सृष्टि को देखा तो वह मृत शरीर की भांति शांत नजर आई, क्योंकि इसमें न तो कोई स्वर था और न ही वाणी। अपनी उदासीन सृष्टि को देखकर ब्रह्माजी को अच्छा नहीं लगा। 
 
ब्रह्माजी भगवान विष्णु के पास गए और अपनी उदासीन सृष्टि के विषय में बताया। ब्रह्माजी से तब भगवान विष्णु ने कहा कि देवी सरस्वती आपकी इस समस्या का समाधान कर सकती हैं। आप उनका आह्वान कीजिए। उनकी वीणा के स्वर से आपकी सृष्टि में ध्वनि प्रवाहित होने लगेगी।
 
भगवान विष्णु के कथनानुसार ब्रह्माजी ने सरस्वती देवी का आह्वान किया। सरस्वती माता के प्रकट होने पर ब्रह्माजी ने उन्हें अपनी वीणा से सृष्टि में स्वर भरने का अनुरोध किया। माता सरस्वती ने जैसे ही वीणा के तारों को छुआ, उससे सहसा 'सा' शब्द फूट पड़ा। यह शब्द संगीत के सप्त सुरों में प्रथम सुर है।
 
इस ध्वनि से ब्रह्माजी की मूक सृष्टि में ध्वनि का संचार होने लगा। हवाओं, सागर, पशु-पक्षियों एवं अन्य जीवों को वाणी मिल गई। नदियों से कल-कल की ध्वनि फूटने लगी। इससे ब्रह्माजी अतिप्रसन्न हुए। उन्होंने सरस्वती को 'वाणी की देवी' के नाम से संबोधित करते हुए 'वागेश्वरी' नाम दिया, माता सरस्वती का एक नाम यह भी है। सरस्वती माता के हाथों में वीणा होने के कारण इन्हें 'वीणापाणि' भी कहा जाता है।
 
वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती के जन्मोत्सव का दिन
 
वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की पूजा की प्रथा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है की सृष्टि के निर्माण के समय देवी सरस्वती बसंत पंचमी के दिन प्रकट हुई थीं अत: बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है इसलिए मां सरस्वती की पूजा- अर्चना की जाती है।
 
कैसे करें मां सरस्वती का पूजन, पढ़ें सरलतम विधि 
 
वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा करने के लिए सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। 
 
इसके बाद कलश स्थापित करके गणेशजी तथा नवग्रह की विधिवत पूजा करनी चाहिए।
 
माता सरस्वती की पूजा करें। सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन एवं स्नान कराएं, इसके बाद माता को केसरिया फूल एवं माला चढ़ाएं। सरस्वती माता को सिन्दूर एवं अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए। 
 
वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों में गुलाल भी अर्पित किया जाता है। देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं अत: उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। 
 
सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदी अर्पित करना चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए एवं खीर का भी भोग लगाया जाता है।
 
सरस्वती माता के नाम से हवन करना चाहिए। हवन के लिए हवन कुंड अथवा भूमि पर सवा हाथ चारों तरफ नापकर एक निशान बना लेना चाहिए। इसे कुशा से साफ करके गंगा जल छिड़ककर पवित्र करने के बाद आम की छोटी-छोटी लकड़ियों को अच्छी तरह बिछा लें और इस पर अग्नि प्रज्वलित करें। हवन करते समय गणेशजी व नवग्रह के नाम से भी हवन करें। 
 
सरस्वती माता के नाम से 'ॐ श्री सरस्वतयै नम: स्वाहा' इस मंत्र से 108 बार हवन करें। हवन के बाद सरस्वती माता की आरती करें और हवन की भभूत मस्तक पर लगाएं।

ALSO READ: वसंत पंचमी : आइए डालें एक नजर

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Surya in purva phalguni nakshatra : सूर्य के पूर्वा फाल्‍गुनी नक्षत्र में जाने से 4 राशियों को होगा धन लाभ

Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या के दिन विदा होते हैं पितर, जानें डेट व तर्पण के लिए कुतुप मुहूर्त

Mahalaxmi Vrat 2024 : 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत शुरू, जानें महत्व, पूजा विधि और मंत्र

Bhadrapada purnima 2024: भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और अचूक उपाय

Ganesh Visarjan 2024: गणेश विसर्जन का 10वें दिन का शुभ मुहूर्त 2024, विदाई की विधि जानें

सभी देखें

धर्म संसार

15 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

15 सितंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

वामन जयंती पर जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पर्व का महत्व और वामन अवतार की कथा

क्या गया जी श्राद्ध से होती है मोक्ष की प्राप्ति !

Chanakya Niti : चाणक्य नीति के अनुसार धरती पर नर्क भोगता है ऐसा आदमी

अगला लेख
More