भाजपा को भीतरघात तो कांग्रेस को बाहरी व अंदरुनी का खतरा

Webdunia
देहरादून/ हरिद्वार। उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस के लिए चुनाव जीतकर वापस सत्ता में आना बड़ी चुनौती बन गया है। यह चुनाव कांग्रेस के बागियों के कारण काफी रोचक व चर्चित होने वाला है, साथ ही मुख्यमंत्री हरीश रावत की साख के लिए अग्निपरीक्षा बन चुका है। 
गत वर्ष कांग्रेस के 9 विधायकों की बगावत के बाद सरकार की बर्खास्तगी औेर न्यायालय के हस्तक्षेप से वापसी के बाद हरीश रावत पूरे देश में एक मजबूत कांग्रेस नेता के रूप में उभरे लेकिन एक के बाद एक उनके विधायकों का पलायन से उनकी कार्यशैली पर सवाल उठे कि क्या वे अपने कुनबे को साथ नहीं रख पाए? 
 
फिर रेखा आर्य और अब कद्दावर नेता यशपाल आर्य औेर एनडी तिवारी के भाजपा में जाने से कांग्रेस को कई जिलों में नुकसान होता नजर आ रहा है। भले ही हरीश रावत इन्हें अपनी राह का रोड़ा मानकर उनके कांग्रेस छोड़ने से प्रसन्न हों लेकिन कांग्रेस के लिए यह अप्रत्याशित झटका है जिससे उबरने के लिए कांग्रेस को अभी कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है 
 
उत्तराखंड में पिछले विधानसभा चुनावों में केवल 0.66 प्रतिशत के अंतर से कांग्रेस ने भाजपा को हराकर सरकार बनाई थी। उस समय भाजपा के मुख्यंमत्री पद के उम्मीदवार भुवनचन्द्र खंडूरी कोटद्वार से हार गए थे जिसके बाद भाजपा की 31 के मुकाबले 32 सीटें प्राप्त करके कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिल गया था।
 
विश्लेषकों की मानें तो इतने कम अंतर से हार के बाद करीब-करीब आधी कांग्रेस पार्टी का राज्य में भाजपा में विलय इस बार कांग्रेस के सारे समीकरण बिगाड़ सकता है। नई परिस्थतियों में भाजपा का वोट प्रतिशत यदि बागियों के आने से 2 या 3 प्रतिशत भी बढ़ता है तो इस बार भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बना सकती है।
 
भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस बार अपने असंतुष्टों को लेकर है, क्योंकि भाजपा ने सभी कांग्रेसी बागियों को टिकट से नवाजा है, ऐसे में उन जगहों से भाजपा से टिकट के उम्मीदवार बने बैठे लोगों ने बगावत का बिगुल बजाना शुरू कर दिया है। 
 
जिसे भाजपा ने नहीं थामा तो इस बार भी 2012 की तरह भाजपा सत्ता की दहलीज से दूर रह सकती है। इस बार खंडूरी, भगत सिंह कोशियारी, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे दिगगज नेताओं को भाजपा ने न तो टिकट दिया है और न ही मुख्यमंत्री का कोई चेहरा आगे किया है। लेकिन सतपाल महाराज को विधानसभा का टिकट देकर संकेत जरूर दे दिया है कि भाजपा यदि सत्ता में आती है तो अगले मुख्यमंत्री पद के वे सभांवित उम्मीदवार हो सकते हैं।
 
बड़े नेताओं को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर करके भाजपा ने बड़ा जोखिम लिया है जिससे चुनाव में इन नेताओं की रुचि न के बराबर दिखाई पड़ रही है। इनकी कम सक्रियता से पता चलता है कि भाजपा के बाहरी नेताओं को टिकट देने में काफी बड़ा जोखिम पैदा हो गया है जिसका फायदा उठाकर कांग्रेस इन बागियों को गले लगाकर भाजपा के लिए नया सिरदर्द पैदा कर सकती है।
 
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इतिहास गवाह रहा है कि यहां सत्ता विरोधी रुझान काफी देखा गया है। यहां भी हिमाचल व छोटे राज्यों की तरह हर बार सत्ता परिवर्तन होता रहा है। इस बार भी सत्ताविरोधी रुझान यहां देखने को मिल रहा है जिसको अपने पक्ष में करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।
 
इस चुनाव में जहां भाजपा को बड़े पैमाने पर भीतरघात का डर सता रहा है वहीं कांग्रेस को अपने जुदा हो चुके विधायकों वाले विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी तलाशने में भारी मशक्कत करनी पड़ी है और अपना वोट बैंक भाजपा की तरफ खिसकने का भी खतरा पैदा हो गया है। (वार्ता)
Show comments

जरूर पढ़ें

India-Pakistan War : पाकिस्तान पर काल बनकर बरसीं ये स्वदेशी मिसाइलें, आतंक के आका को सदियों तक रहेगा भारतीय हमले का सदमा

डोनाल्ड ट्रंप ने दिया संकेत, भारत ने की अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क घटाने की पेशकश

भारत और PAK के बीच मध्यस्थता वाले बयान से पलटे Donald Trump, बोले- मैंने मदद की

कर्नल सोफिया कुरैशी के बाद अब विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर विवादित बयान, जानिए रामगोपाल यादव ने क्या कहा

Donald Trump ने Apple के CEO से कहा- भारत में बंद करें iPhone बनाना, सबसे ज्यादा टैरिफ वाला देश, बेचना मुश्किल

सभी देखें

नवीनतम

LIVE : भुज एयरबेस पर जवानों से मिलेंगे राजनाथ, विजय शाह मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Weather Updates: दिल्ली एनसीआर में गर्मी से बुरा हाल, उत्तराखंड में बारिश के आसार, IMD अलर्ट

पाकिस्तानी पीएम शहबाज ने की शांति के लिए बातचीत की पेशकश, क्या है भारत का जवाब?

हरियाणा में पकड़ाया पाकिस्तानी जासूस, ISI को भेज रहा था खुफिया जानकारी

MP : सरकारी कार्यशाला में विजय शाह की फोटो पर भड़के अफसर, मंत्री की जगह लगाई PM मोदी की तस्वीर

अगला लेख