सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश के चयनित शिक्षकों की नई चयन सूची तैयार करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगाई, जिसमें यूपी सरकार को राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नई चयन सूची तैयार करने को कहा गया था। सहायक शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द किए जाने से हजारों टीचर्स की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा था।
चीफ जस्टिस ने पिछले महीने हाई कोर्ट की तरफ से जारी आदेश को निलंबित करते हुए 23 सितंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है। हाईकोर्ट ने अगस्त में राज्य सरकार को प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नयी चयन सूची तैयार करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी उत्तरप्रदेश के शिक्षकों की चयन सूचियों को रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से जवाब भी मांगा है।
हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने रवि कुमार सक्सेना और 51 अन्य द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार और उप्र बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव सहित अन्य को नोटिस भी जारी किए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले में अंतिम सुनवाई करेगी। साथ ही, न्यायालय ने संबंधित पक्षों के वकीलों से कहा कि वे अधिकतम सात पृष्ठों के संक्षिप्त लिखित नोट दाखिल करें।
पीठ ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई 23 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में तय करेगी। उप्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी शीर्ष अदालत में पेश हुईं।
हाईकोर्ट की एक खंड पीठ ने महेंद्र पाल और अन्य द्वारा पिछले साल 13 मार्च को एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली 90 विशेष अपीलों का निस्तारण करते हुए यह आदेश जारी किया था।
खंडपीठ ने निर्देश दिया था कि नयी चयन सूची तैयार करते समय, वर्तमान में कार्यरत सहायक अध्यापकों पर किसी भी नुकसानदेह प्रभाव को कम किया जाना चाहिए, ताकि वे जारी शैक्षणिक सत्र को पूरा कर सकें। खंडपीठ ने कहा था कि इस निर्देश का उद्देश्य छात्रों के पठन-पाठन में व्यवधान को रोकना है। इनपुट भाषा