Kolkata doctor rape and murder case: कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर के साथ हत्या और रेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच के लिए एक हफ्ते का और समय दिया है साथ ही केन्द्रीय जांच एजेंसी से नई स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा सीलबंद लिफाफे में जमा की गई रिपोर्ट का अध्ययन किया। पीठ ने कहा कि सीबीआई ने स्थिति रिपोर्ट जमा की है जिससे लगता है कि जांच प्रगति पर है। हम सीबीआई को नई स्थिति रिपोर्ट जमा करने का निर्देश देते हैं। हम सीबीआई को उसकी जांच पर गाइड नहीं करना चाहते।
क्या कहा तुषार मेहता ने : मेहता ने पीठ से कहा कि सीबीआई ने फोरेंसिक नमूने आगे जांच के लिए एम्स भेजने का फैसला किया है। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी को निर्देश दिया है कि आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा में लगाई गईं सीआईएसएफ की तीनों कंपनियों को आवास की सुविधा प्रदान की जाए। न्यायालय ने सीआईएसएफ कर्मियों को जरूरी सभी सुरक्षा संसाधन भी आज ही मुहैया कराने का निर्देश दिया।
ALSO READ: Big Breaking : कोलकाता कांड में CBI का बड़ा एक्शन, RG कर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष गिरफ्तार
क्या कहा बंगाल सरकार ने : इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की घटना के खिलाफ चिकित्सकों की हड़ताल के कारण 23 लोगों की मौत हो चुकी है। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार स्थिति रिपोर्ट पीठ के समक्ष जमा की। उन्होंने पीठ से कहा कि एक स्थिति रिपोर्ट जमा की गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट जमा की है। डॉक्टर हड़ताल पर हैं, इसलिए 23 लोगों की मौत हो चुकी है।
ALSO READ: कोलकाता की घटना पर बढ़ती सियासत के बीच सीबीआई पर उठते सवाल
बेहद परेशान करने वाली घटना : उच्चतम न्यायालय ने 22 अगस्त को महिला चिकित्सक की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी को लेकर कोलकाता पुलिस से नाराजगी जताई थी। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की प्रशिक्षु पीजी चिकित्सक के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। न्यायालय ने इसे बेहद परेशान करने वाली घटना बताया था और घटनाक्रम तथा प्रक्रियागत औपचारिकताओं के समय पर सवाल उठाए थे।
शीर्ष अदालत ने चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों की सुरक्षा के लिहाज से प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) का गठन किया था। न्यायालय ने घटना को भयावह करार देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने में देरी पर राज्य सरकार से भी अप्रसन्नता जाहिर की थी।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala