Love story of monkey and human: 'तेरी-मेरी यारी, हमें जान से है प्यारी' यह पंक्ति उस समय चरितार्थ हुई, जब एक बंदर (monkey) खाना-पीना खिलाने वाले दोस्त रामकुंवर (Ramkunwar) की अर्थी से लिपटकर मोक्षधाम तक गया। यह बंदर रामकुंवर की मौत के बाद गमगीन दिखाई दिया और अंतिम संस्कार के बाद मृतक के घर कुछ देर बैठकर वापस चला गया। बेजुबान बंदर का यह प्रेम अमरोहा जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।
अमरोहा जिले के जोया कस्बे का रहने वाला बुजुर्ग रामकुंवर पिछले 2 महीने से एक बंदर को रोटी खिला रहा था। अचानक से रामकुंवर की मंगलवार की सुबह मौत हो गई। प्रतिदिन की तरह बंदर बुजुर्ग के घर खाने-पीने के लिए पहुंचा, वहां भीड़ देखकर वह अपने दोस्त रामकुंवर को खोजने लगा। उसकी नजर कपड़े में लिपटे एक व्यक्ति पर गई।
बंदर विलाप करते हुए अर्थी के पास बैठा : बंदर ने पास जाकर मुंह से कपड़ा हटाया तो वह उसका दोस्त रामकुंवर निकला, जो उसे छोड़कर सदा के लिए दुनिया को अलविदा कह चुका था। बंदर विलाप करते हुए उसकी अर्थी के पास बैठ गया। दोस्ती का फर्ज निभाते हुए वह उसकी शवयात्रा में शामिल हुआ।
रामकुंवर को अंतिम संस्कार वाहन से ब्रजघाट तिगरी धाम लाया जा रहा था तो बंदर भी वाहन में सवार हो गया। वाहन में रखे रामकुंवर के शव से चिपककर उसके साथ तिगरी धाम गंगा घाट तक गया।
बंदर और इंसान का प्रेम देख आंखें नम हो गईं : बंदर और इंसान के प्रति यह प्रेम देखकर वहां मौजूद लोग आश्चर्यचकित थे और उनकी आंखें नम हो गईं। बाकायदा बंदर ने तिगरी धाम पर लोगों की तरह गंगा में स्नान किया, भोजन खाया। अंतिम संस्कार के बाद जब लोग रामकुंवर के घर जाटव कॉलोनी वापस आए तो बंदर भी वापस घर तक आया और कुछ देर चारपाई पर बैठने के बाद चुपचाप वापस चला गया। वहां मौजूद लोगों ने बंदर की इस दोस्ती की दास्तां को मोबाइल में कैद कर लिया।
बंदर व रामकुंवर के प्रेम की चर्चा : बंदर के रामकुंवर के लिए इस प्रेम को देखकर क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चा हो रही है। कोई कह रहा है कि बजरंगबली ने भक्त को दर्शन देकर मोक्ष प्रदान किया है तो किसी का कहना है कि हमारे पूर्वज बंदर ही थे जिसके चलते रामकुंवर को मुक्ति मिल गई है।
भले ही सच कुछ भी हो, लेकिन तस्वीरों को देखकर कहा जा सकता है कि इंसान से अच्छे बेजुबान जीव हैं, जो बिना किसी हित के इंसान से जुड़ाव रखते हैं!
Edited by: Ravindra Gupta