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UP: कहने को राज्यमंत्री लेकिन न ही कोई अधिकार और न ही सुनते हैं अधिकारी राज्यमंत्री की बात

हमें फॉलो करें UP: कहने को राज्यमंत्री लेकिन न ही कोई अधिकार और न ही सुनते हैं अधिकारी राज्यमंत्री की बात

अवनीश कुमार

, गुरुवार, 21 जुलाई 2022 (10:29 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में योगी सरकार के मंत्रियों व अधिकारियों के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। इस बात की पुष्टि उस वक्त हो गई, जब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पत्र से जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफे की जानकारी हुई और उन्होंने इस्तीफा दिए जाने के जो कारण पत्र में बताए, वे बेहद चौंकाने वाले थे।
 
खटीक ने साफतौर पर इस्तीफे के कारण बताते हुए कहा कि मंत्री होते हुए भी वे मंत्री नहीं हैं, क्योंकि न ही तो उनकी कोई अधिकारी सुनता है और न ही कोई अधिकारी उन्हें बैठक में बुलाता है। लेटर वायरल होने के बाद उत्तरप्रदेश की राजनीति में विपक्षियों को योगी सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया है तो वहीं सत्ता में काबिज विधायक और मंत्रियों की बात नहीं सुनी जाती है, इस बात की भी पुष्टि हो गई है।
 
इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की बात कहते हुए कहा कि यह आग लंबे समय से पार्टी के अंदर कई विधायक व मंत्रियों के अंदर लगी हुई थी लेकिन हिम्मत कोई दिखा नहीं पाया और जो भी आरोप विभाग के अधिकारियों पर लग रहे हैं, वे बिलकुल सही हैं, क्योंकि अधिकारी, मंत्रियों की सुनना तो छोड़िए, मंत्री के प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि योगी सरकार 2.0 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा 52 मंत्री बनाए गए हैं। इनमें 18 कैबिनेट मंत्री, 14 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 20 राज्यमंत्री बनाए गए हैं।
 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुरुआत से ही इस बात पर जोर देते रहे हैं कि मंत्री आपसी समन्वय के साथ काम करें। विकास के समग्र प्रयास के लिए ही उन्होंने 18 मंत्री समूह बनए तो उसमें भी राज्यमंत्रियों को साथ लगाया। विभागीय कार्ययोजन के प्रस्तुतीकरण का अवसर उन्हें दिया। लेकिन वास्तविकता में राज्यमंत्री खाली हाथ ही रह गए और वे सिर्फ नाम के राज्यमंत्री हैं लेकिन किसी भी काम में दखलंदाजी करने का न तो उनके पास कोई अधिकार है और न ही अपनी बात को कहने की ताकत ही है।
 
उन्होंने बताया कि कुछ विभागों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश में कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री के बीच में काम का बंटवारा आज तक नहीं हो सका है। कुछ कैबिनेट मंत्री अपने राज्यमंत्रियों को बैठक आदि में तो बुलाते हैं लेकिन इससे अधिक उनकी कोई भूमिका नहीं रहती। हकीकत में विभागों के अंदरुनी हालात क्या हैं, यह दिनेश खटीक के वायरल पत्र में स्पष्ट है।
 
वहीं इस पूरे मामले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अतुल कुमार बताते हैं कि अधिकारी व मंत्रियों के बीच आपसी समन्वय इस सरकार में नहीं है जिसके चलते यह हालात सरकार को देखने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को ब्यूरोक्रेसी चला रही है। इस वायरल पत्र से साफ और स्पष्ट हो जाता है कि इस अंदरुनी कलह को भारतीय जनता पार्टी ने समय रहते ठीक नहीं किया तो इसका नुकसान 2024 के चुनव में योगी सरकार को उठाना पड़ सकता है।

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