लखनऊ। उत्तर प्रदेश के देवबंद में 28 मई यानी शनिवार से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दो दिन जलसे के पहले दिन जमीयत उलमा-ए-हिंद के नेशनल सेक्रेटरी मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि हमारे दिल में भगवान और अल्लाह विराजमान हैं। हम अपने दिलों को ही बांट देंगे तो इन मंदिरों-मस्जिदों का क्या होगा?
मौलाना ने कहा कि ऐसा कोई विवाद नहीं होना चाहिए, जिससे हमारे रिश्ते टूटें। फिर चाहे मंदिर और मस्जिद टूटें या बनें, इससे फर्क नहीं पड़ेगा। जलसे में अलग-अलग मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि पहुंचे हैं। आयोजन के दौरान देश में बढ़ रहे इस्लामोफोबिया के खिलाफ लामबंद होने की बात कही गई। साथ ही सकारात्मक संदेश देने के लिए 1000 स्थानों पर सद्भावना संसद के आयोजन की घोषणा की।
सरकार पर निशाना : मौलाना फारुकी ने बिना नाम लिए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज हमारा देश धार्मिक बैर भाव और नफरत में जल रहा है। युवकों को इस ओर बढ़ाया जा रहा है। इस्लामी सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ निराधार आरोपों को फैलाया जा रहा है। सत्ता में बैठे लोग उनका हौसला बढ़ा रहे हैं। उन्होंने मुस्लिम युवाओं से कहा कि वे किसी के भी भड़कावे में नहीं आए।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक वर्चस्व के लिए बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्तेजित करना, देश के साथ दुश्मनी है। मौलाना ने मुस्लिमों से अपील है कि प्रतिक्रियावादी रवैया अपनाने के बजाय एकजुट होकर राजनीतिक स्तर पर चरमपंथी फासीवादी ताकतों का मुकाबला करें। ज्ञानवापी मुद्दे पर मौलाना ने कहा कि यह मामला अदालत में चल रहा है, इसे सड़क पर मत लाइए।
उनको सिर्फ सत्ता प्यारी है : मौलाना फारुकी ने कहा कि यदि फासीवादी संगठन यह समझते हैं कि देश के मुसलमान जुल्म की जंजीरों में जकड़ लिए जाएंगे, तो यह उनकी भूल है। उन्होंने कहा कि मैं मुस्लिम नौजवानों और छात्र संगठनों को सचेत करता हूं कि वे देश के दुश्मनों (अंदरूनी और बाहरी तत्वों) के सीधे निशाने पर हैं। मौलाना ने कहा कि देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथों में है, जो सदियों पुरानी भाईचारे की पहचान को बदल देना चाहते हैं। उनको सिर्फ सत्ता प्यारी है।