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Kavad Yatra 2024 : आधुनिक युग के श्रवण कुमार, माता-पिता को कांधे पर लेकर कर रहे कावड़ यात्रा

हमें फॉलो करें Kavad Yatra 2024 : आधुनिक युग के श्रवण कुमार, माता-पिता को कांधे पर लेकर कर रहे कावड़ यात्रा

हिमा अग्रवाल

, मंगलवार, 23 जुलाई 2024 (21:47 IST)
Kavad Yatra 2024 : श्रावण मास की कावड़ यात्रा हर्षोल्लास के साथ शुरू हो गई है। ऐसे में दूरदराज से शिवभक्त भोले कंधे पर तरह-तरह की रंगबिरंगी कावड़ हरिद्वार से पैदल गंगाजल भरकर ला रहे हैं। इस गंगाजल से 2 अगस्त में शिवरात्रि पर्व पर भोले भंडारी का जलाभिषेक किया जाएगा। कावड़ यात्रा के दौरान इस बार आधुनिक युग के श्रवण कुमार भी देखने को मिल रहे हैं, जो कंधे पर अपने माता-पिता को बैठाकर तीर्थ यात्रा से पुण्य कमा रहे हैं।

उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले से एक बेटा-बहू अपनी मां को कंधे पर कावड़ में बैठाकर यात्रा करवा रहे हैं तो वहीं मेरठ जिले का रहने एक बेटा श्रवण कुमार बनकर माता-पिता को हरिद्वार गंगास्नान करवाकर पुण्य कमा रहा है। इस कलयुग में ऐसे बेटों का माता-पिता का स्नेह चर्चा का विषय बन गया है।
 
 कंधे पर कावड़ उठाए ये पति-पत्नी बुलंदशहर के पहासू के रहन वाले हैं। राजकुमार ने बताया कि उसकी 60 वर्षीय मां सरोज देवी की इच्छा है कि वह अनूपशहर गंगातट से सावन में जल लेकर आएं। मां की इच्छा का मान रखते हुए राजकुमार दंपति मां सरोज देवी को लेकर अनूप शहर पहुंचे, जहां उन्होंने गंगा तट से जल भरा और कावड़ में माता को बैठाया और वापस अपने गांव पहासू की तरफ रवाना हो गए। रास्ते में बेटे-बहू का मां के प्रति यह प्रेम देखकर लोगों के मुंह से निकल रहा है कि कलयुग में भी श्रवण कुमार है, जो अपनी जन्मदात्री को पूज रहे हैं। 
 
मां की भक्ति में लीन रामकुमार ने बताया कि उसने अनूपशहर गंगा तट से गंगाजल भरा है और इसे पहासू में स्थित शिवालय में अर्पित करेगा। पहासू शिवालय से अनूपशहर से करीब 65 किलोमीटर है, जिसे वह 6 दिन में पूरी कर लेगा और सावन के दूसरे सोमवार यानी 29 जुलाई को गांव वाले शिवालय में चढ़ाएगा। वह मां को कंधे पर लेकर प्रतिदिन 10 किलोमीटर दूरी तय कर रहा है। मां के प्रति प्रेमभाव का यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी सुर्खियां बटोर रहा है। 
 
 
माता-पिता के प्रति आस्था के समुंदर में गोते लगाने वाला कलयुग का श्रवण कुमार बिट्टू हैं, जो मेरठ का रहने वाला है और हरिद्वार में हर की पैड़ी से गंगाजल के साथ कावड़ उठाते समय उसने अपने माता-पिता दोनों को बैठाया और अपने गंतव्य मेरठ की तरफ चल दिया। श्रवण कुमार रूपी बिट्टू जैसे ही आबादी की तरफ से निकलता है उसे देखने वालों की भीड़ लग जाती है, क्योंकि वह लगभग 180 किलोमीटर का सफर मां-पिता को अकेले कंधे पर उठाकर कर रहा है। जैसे ही वे यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में पहुंचा तो लोग उसकी मातृ-पितृ भक्ति भावना के कायल हो गए और उनके मुख से बरबस निकल रहा है कि ऐसा श्रवण कुमार सबके घर में पैदा हो। 
 
आधुनिक युग श्रवण कुमार भोले के भक्त बिट्टू का कहना है कि मैं मेरठ जिले के गांव डेरी दोषाती गांव का हूं। गांव से हरिद्वार 180 किलोमीटर पड़ता है, इसलिए 12-13 किलोमीटर प्रतिदिन पैदल चल रहा हूं। बिट्टू ने बताया कि मैंने किताबों में श्रवण कुमार की कहानी पढ़ी और बड़ों से सुनी। पिछली बार हरिद्वार में भी देखा कि एक व्यक्ति अपने मां-बाप को कंधे पर उठाकर तीर्थयात्रा करवा रहा है। बस मैंने भी ठान ली कि श्रवण कुमार की तरह माता-पिता को कावड़ में बैठाकर हरिद्वार से जल लाऊंगा। रास्ते के सफर में मुझे किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही है, बस मां-पिता को तीर्थ करवाने की खुशी है। 
 
इस शिवभक्त कावड़िए बिट्टू की मां राजेश देवी भी बेहद खुश दिखाई दे रही हैं। उनका कहना है कि बेटा तीर्थ करवा लाया है। हमारी सेवा कर रहा है और वह हमारा श्रवण कुमार है। ऐसे श्रवण कुमार घर-घर में जन्मे, जो अपने माता-पिता की सेवा करें। उसके पिता रणवीर गद्‍गद्‍ हैं। उनका कहना है कि सपने में भी नहीं सोचा था कि बेटा श्रवण कुमार बन जाएगा।

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