लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने बृहस्पतिवार को विधान परिषद में कहा कि उन्होंने और राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने खुद पर दर्ज कोई भी मुकदमा वापस नहीं लिया है। मुख्यमंत्री ने विधान परिषद में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधा और कहा कि कल सपा के नेता ने एक वक्तव्य दिया था कि मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री ने अपने ऊपर दर्ज मुकदमे वापस लिए हैं।
पिछले 6 वर्षों के दौरान न तो मुख्यमंत्री और न ही उपमख्यमंत्री ने अपने ऊपर दर्ज कोई भी मुकदमा वापस नहीं लिया है। गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अक्सर प्रदेश सरकार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का आरोप लगाते हैं।
योगी ने अखिलेश पर पलटवार करते हुए कहा कि लेकिन यह सच है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद पर दर्ज मुकदमे को वर्ष 2016 में अपने हस्ताक्षर से वापस लेने का काम किया था। यह मुकदमा वापस कैसे हुआ, हमें तो आश्चर्य होता है, क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा दायर किया गया मुकदमा वापस हो ही नहीं सकता था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोग की इजाजत के बगैर नहीं हो सकता था, लेकिन उन्होंने (अखिलेश ने) यह मुकदमा वापस लिया था और वह दूसरों को उपदेश देते हैं। योगी ने आरोप लगाया कि सपा सरकार में क्या होता था। अपराधी तो सरकार के सरपरस्त थे ही, देशद्रोहियों और आतंकवादियों के मुकदमे भी वापस लिए जाते थे। लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, बिजनौर, कानपुर और रामपुर में अपराधियों और आतंकवादियों के मुकदमों को वापस लेने का दुस्साहस भी समाजवादी पार्टी की सरकार ने किया था।
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय को यह टिप्पणी करनी पड़ी थी कि आज आप आतंकवादियों के मुकदमों को वापस ले रहे हैं, कल इन्हें पद्म पुरस्कार देने का काम भी करेंगे।
माफिया की समानांतर सरकार : मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले राज्य के नौजवानों के सामने पहचान का संकट था और सूबे में माफिया तत्वों की समानांतर सरकार चलती थी। किसान बदहाल थे, आत्महत्या कर रहे थे, गरीब भुखमरी का शिकार थे, महिलाएं सुरक्षित नहीं थीं। प्रदेश में हर तरह का माफिया हावी हो गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कहीं संगठित अपराध को संचालित करने वाला माफिया था, तो कहीं भू-माफिया, कहीं खनन माफिया, कहीं पशु माफिया और कहीं वन माफिया थे। जिस यूपी के नौजवानों के सामने पहचान का संकट खड़ा हुआ करता था, पिछले 6 वर्षों से उसी प्रदेश के नौजवानों को देश-दुनिया में सम्मान की निगाहों से देखा जाता है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala