उत्तरप्रदेश के संभल जिले में ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद सर्वे को लेकर कानूनी विवाद बढ़ता जा रहा है। मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे कराए जाने के 19 नवंबर 2024 सिविल कोर्ट के आदेश को मस्जिद प्रबंधन समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इसी याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट की एकलपीठ सुनवाई करेगी।
19 नवंबर 2024 में यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब संभल की एक सिविल कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग पर मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि मस्जिद के नीचे किसी प्राचीन धार्मिक ढांचे के अवशेष मौजूद हो सकते हैं, जिनकी जांच आवश्यक है। इसके जवाब में मस्जिद कमेटी ने इस आदेश को “धार्मिक भावना को आहत करने वाला” और “बिना आधार के” बताया और इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।
मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सिविल रिवीजन में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ सुनवाई कर रही है। मस्जिद समिति ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि निचली अदालत का आदेश विधिक और संवैधानिक रूप से गलत है। बिना ठोस सबूत के इस तरह के सर्वे से समाज में वैमनस्य और सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न पैदा हो सकता है।
हाईकोर्ट ने 28 अप्रैल को इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए अंतिम मौका देते हुए 48 घंटे का समय दिया था। साथ ही मस्जिद समिति को भी निर्देश दिया गया था कि वह ASI के हलफनामे पर प्रत्युत्तर में अपना पक्ष रखते हुए हलफनामा दाखिल करे। कोर्ट ने साफतौर पर कहा था कि दोनों पक्षों को यह अंतिम अवसर दिया जा रहा है।
अब सोमवार को हाईकोर्ट होने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि मस्जिद प्रबंध कमेटी की रिविजन याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं। यदि कोर्ट इस याचिका को सुनवाई योग्य मानता है, तो सर्वे आदेश पर रोक लग सकती है और मामला लंबा खिंच सकता है, वहीं यदि यह रिविजन याचिका कोर्ट पर्याप्त ठोस आधार न होने के चलते इसे खारिज कर देता है तो निचली अदालत द्वारा दिए गए सर्वे आदेश को प्रभावी रूप से आगे बढ़ाने की प्रक्रिया पर तेजी के साथ काम हो सकता है।
प्रयागराज शाही जामा मस्जिद का मामला केवल इलाहाबाद हाईकोर्ट तक सीमित नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई चल रही है। मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने उच्चतम न्यायालय से भी अपील कि धार्मिक स्थल पर इस प्रकार का सर्वे संवेदनशीलता और आपसी सौहार्द्र बिगाड़ सकते है। वहीं इस मामले को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि संवेदनशीलता और आस्था से जुड़ा होने के कारण अत्यधिक और संतुलन की आवश्यकता है। कोर्ट द्वारा दिये गए किसी भी निर्णय का सामाजिक रूप से बड़ा प्रभाव दिखाई देगा। निर्णय आने से पहले संभल में स्थानीय पुलिस-प्रशासन सतर्कता बरत रहा है। किसी भी नहीं प्रिय घटना से बचने के लिए तैयारियां शुरू हो गई है। Edited by: Sudhir Sharma