लखनऊ। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के मुकाबले आजमगढ़ से चुनाव हार चुके भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ पर भाजपा ने एक बार फिर दांव लगाया है। उल्लेखनीय है कि अखिलेश के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई थी।
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ उपचुनाव में सुशील आनंद को उम्मीदवार बनाया है, जो कि पूर्व सांसद बलिहारी के बेटे हैं। बलिहारी बसपा के संस्थापकों में एक थे और पूर्वांचल में इनकी अच्छी पकड़ थी। हालांकि इस सीट से अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और पूर्व सांसद रमाकांत यादव का नाम भी चला था। लेकिन पार्टी ने दलित चेहरे सुशील आनंद को मौका दिया। लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने निरहुआ को 2 लाख 59 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया था।
इस चुनाव में अखिलेश यादव को कुल 6 लाख 19 हजार 594 वोट मिले, जबकि निरहुआ के खाते में 3 लाख 60 हजार 255 वोट आए थे।। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव ने यहां बीजेपी के रमाकांत यादव को शिकस्त दी थी।
सपा का गढ़ है आजमगढ़ : यादव-मुस्लिम बहुल यह सीट वर्तमान में सपा का गढ़ मानी जाती है। इस सीट के पिछले इतिहास पर नजर डालें तो 70 के दशक (1952 से 1971) तक आजमगढ़ सीट कांग्रेस के खाते में रही। 1984 में कांग्रेस लहर में एक बार फिर यहां से कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत का झंडा बुलंद किया। 2009 में भाजपा उम्मीदवार भी यहां से एक बार जीतने में सफल रहा है। वहीं, बसपा यहां से चार बार चुनाव जीत चुकी है।