लखनऊ। हाथरस में युवती से सामूहिक दुष्कर्म और मौत के मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक एसआईटी गठित की है। मुख्यमंत्री ने एसआई को 7 दिन के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है। जांच के लिए 3 सदस्यों दल बुधवार शाम को चंदपा थाने के बूलागढ़ी गांव में पहुंचा और पीड़िता के परिवार से बातचीत की।
SIT की अगुवाई होम सेक्रेटरी भगवान स्वरूप कर रहे हैं। एसआईटी गांव में पहुंचकर ग्रामीणों सहित पुलिस अधिकारियों से भी बात करेगी। एसआईटी में पुलिस उपमहानिरीक्षक चंद्रप्रकाश और सेना नायक पीएसी (आगरा) पूनम भी शामिल हैं।
टीम ने सबसे पहले बूलागढ़ी में पीड़ित परिवार और गांव के लोगों से पूछताछ शुरू की है। घटनाक्रम की जानकारी लेने के बाद पीड़िता के परिवार को सांत्वना दी कि मुख्यमंत्री इस मामले में सख्त रुख अपनाए हुए हैं। जांच दल ने चंदपा के एसओ को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। घटनास्थल का निरीक्षण भी करेंगे और हाथरस में पुलिस जांच अधिकारी बनाए गए सीओ सादाबाद से भी मामले की जानकारी ली गई है।
फास्ट ट्रैक में चलेगा मामला : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीडिता की मृत्यु पर दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि घटना के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलायी जाएगी। यह मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा। घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच कमेटी (SIT) का गठन किया गया है जो अपनी रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घटना की जानकारी ली है और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के निर्देश दिए हैं।
योगी ने पीड़िता के परिवार को मदद की राशि 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपए करने की घोषणा की है। इसके अलावा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और सूडा के अंतर्गत शहरी इलाके में एक आवास उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉलिंग के जरिए पीड़िता के पिता से बात की और उन्हे भरोसा दिलाया कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और सरकार उन्हें कड़ी सजा दिलाएगी।
एसआईटी की देर पर प्रियंका ने उठाए सवाल : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एसआईटी के देरी से गठन करने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि घटना 14 सितंबर 2020 को हुई थी तो इस प्रकरण की जांच 15 दिन की देरी से क्यों हो रही है। प्रियंका ने मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि योगीजी SIT का गठन करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी के फोन का इंतजार कर रहे थे।
विरोध के बावजूद रात में दाह संस्कार : हैवानियत की शिकार पीड़िता ने मंगलवार देर शाम दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इसके बाद पुलिस शव को हाथरस लाई और परिजनो के विरोध के बावजूद देर रात लगभग ढाई बजे शव का दाह संस्कार एक खुले खेत में कर दिया। इस दौरान पीड़िता के परिजन शव को घर ले जाने की गुहार लगाते रहे लेकिन जिला प्रशासन ने उनकी एक न सुनी।
अंतिम इच्छा नहीं कर सके पूरी : पीड़िता के पिता ने कहा कि जिला प्रशासन की मनमानी के कारण वह अपनी पुत्री की अंतिम इच्छा पूरी नहीं कर सके। वह घर जाना चाहती थी। जीते जी उसकी यह हसरत पूरी नहीं हो सकी लेकिन शव को घर की देहरी तक प्रशासन ने नहीं आने दिया। हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार रात में दाह संस्कार नहीं किया जाता लेकिन यह दलील भी उन्होंने नहीं सुनी और बीच रास्ते में एक खुले खेत में शव का दाह संस्कार कर दिया।
चार हफ्ते में मांगा जवाब : हाथरस की घटना से उद्धेलित विपक्ष का गुस्सा पीड़िता के रात्रि में दाह संस्कार की घटना से और बढ़ गया। कांग्रेस, बसपा, सपा और आम आदमी पार्टी ने जिला प्रशासन के कृत्य की कड़ी भर्त्सना की। हालांकि जिला प्रशासन की दलील थी कि पीड़िता के परिवार की रजामंदी से दाह संस्कार किया गया।
राजनीतिक दलों के अलावा स्वयंसेवी संगठनों और मानवाधिकार आयोग ने भी सरकार को निशाने पर लिया और मामले की रिपोर्ट तलब की। मानवाधिकार आयोग ने नोटिस जारी कर हाथरस घटना की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और सरकार से चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। (एजेंसियां)