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छत्तीसगढ़ को भाई काला नमक धान की खुशबू, स्वाद एवं खूबियां

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गिरीश पांडेय

, शनिवार, 17 जून 2023 (15:11 IST)
Kala Namak Rice: छत्तीसगढ़ को 'धान का कटोरा' कहते हैं। फिलहाल छत्तीसगढ़ भगवान बुद्ध का प्रसाद माने जाने वाले एवं सिद्धार्थनगर के एक जिला एक उत्पाद जीआई जियोग्राफिकल इंडीकेशन प्राप्त काला नमक धान का मुरीद हो गया है। काला नमक धान पर 2 दशक से काम कर रहे वैज्ञानिक डॉ. आरसी चौधरी के अनुसार मेरे पास से जितनी बीज की मांग जीआई वाले पूर्वांचल के 11 जिलों से निकली है, लगभग उतनी ही मांग छत्तीसगढ़ से भी निकली है। दिन में वहां से इस बाबत तमाम लोगों के फोन आते हैं।
 
बीज की बढ़ी मांग की तस्दीक गोरखपुर के बड़े बीज बिक्रेता उत्तम बीज भंडार के श्रद्धानंद तिवारी भी करते हैं। उनके मुताबिक पिछले साल के मुकाबले काला नमक के बीज की मांग करीब 3 गुना है। आपूर्तिकर्ता कंपनियों की संख्या भी खासी बढ़ी है। प्रतियोगिता के नाते दाम भी वाजिब हैं। दोनों लोगों का कहना है कि आज काला नमक का जो भी क्रेज है, उसकी एकमात्र वजह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निजी प्रयास है।
 
छत्तीसगढ़ ही नहीं, बिहार, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश से भी ठीक-ठाक मांग निकली है। उत्तरप्रदेश की बात करें तो जीआई वाले जिलों के अलावा बलिया, आजमगढ़, जौनपुर, सुल्तानपुर, प्रयागराज, उन्नाव, प्रतापगढ़ आदि वे जिले हैं, जहां से बीज की अच्छी मांग निकली है। थोड़ी-बहुत डिमांड तो कई प्रदेशों एवं जिलों से है। उम्मीद है कि इस साल सिर्फ जीआई वाले जिलों में खेती का रकबा 85 हजार एकड़ तक पहुंच जाएगा। सभी जगह की मांगों को शामिल कर लें तो यह रकबा अपेक्षा से बहुत अधिक होगा।
 
साल-दर-साल इस तरह बढ़ा काला नमक का क्रेज : सरकार ठान ले तो कुछ भी संभव है और अगर सरकार का मुखिया योगी आदित्यनाथ जैसा हो तब तो और भी। सिद्धार्थनगर जिले के ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) एवं भगवान बुद्ध का प्रसाद माने जाने वाले काला नमक धान से संबंधित आंकड़े इसके सबूत हैं।
 
मात्र 7 साल में इसके रकबे में करीब 320 गुना वृद्धि हुई। 2016 में इसका रकबा सिर्फ 2200 हैक्टेयर था, जो 2022 में बढ़कर 70 हजार हैक्टेयर से अधिक हो गया। 2023 में इसके 85 हजार एकड़ से अधिक होने की उम्मीद है। यह करीब 386 गुना की वृद्धि है, जो खुद में अभूतपूर्व है।
 
मुख्यमंत्री की निजी रुचि की वजह से हुआ यह चमत्कार : काला नमक की इस लोकप्रियता के पीछे योगी सरकार की बड़ी भूमिका है। सिद्धार्थ नगर को ओडीओपी घोषित करने के बाद से सरकार ने इसे लोकप्रिय बनाने के लिए कई प्रयास किए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग के पूर्व अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल खुद कई बार सिद्धार्थ नगर गए और किसानों एवं प्रशासन के साथ बैठक की।
 
सरकार की ओर से कपिलवस्तु में काला नमक महोत्सव का लोकार्पण खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। कुशीनगर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव में आए बौद्ध देश के अतिथियों को गिफ्ट हैंपर के रूप में काला नमक दिया गया। खास अवसर पर खास अतिथियों को दिए जाने गिफ्ट हैंपर में काला नमक अनिवार्यत: होता ही है।
 
पिछले साल मुख्यमंत्री ने सिद्धार्थ नगर में काला नमक के कॉमन फैसिलिटी सेंटर का लोकार्पण भी किया था। इससे काला नमक के ग्रेडिंग, पैकिंग से लेकर हर चीज की अत्याधुनिक सुविधा एक ही छत के नीचे मिल जाएगी। योगी सरकार के इन सारे प्रयासों का नतीजा सबके सामने है। यही नहीं, पिछले ही साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काला नमक को लोकप्रिय बनाने के लिए वहां के तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक मीणा को सम्मानित भी किया था।
 
और बेहतर प्रजातियों के विकास के लिए इरी कर रहा शोध : किसानों में इसका क्रेज देखते हुए इसके अनुसंधान पर भी जोर है। वाराणसी स्थित इरी (इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट) इस पर शोध कर रहा। वह कई प्रजातियों पर ट्रॉयल कर रहा है। ट्रॉयल में जो प्रजाति बेहतर निकलेगी, उसे किसानों में लोकप्रिय किया जाएगा।
 
उत्तरप्रदेश और बिहार के किसानों के बीच काम करने वाली संस्था सस्टेनेबल ह्यूमन डेवलपमेंट को इरी ने पिछले साल काला नमक की 15 प्रजातियों को एक जगह छोटे-छोटे रकबे में डिमान्स्ट्रेशन के लिए उपलब्ध कराया है। कटाई पर इसमें से जो भी सर्वश्रेष्ठ होगा, उसे किसानों में लोकप्रिय बनाया जाएगा। एनबीआरआई भी काला नमक पर एक शोध प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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