Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

UP : अगर चाचा-भतीजे में हुआ गठबंधन तो बदलनी पड़ सकती है विपक्ष को चुनावी रणनीति

हमें फॉलो करें UP : अगर चाचा-भतीजे में हुआ गठबंधन तो बदलनी पड़ सकती है विपक्ष को चुनावी रणनीति
webdunia

अवनीश कुमार

, बुधवार, 20 नवंबर 2019 (09:14 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश की सियासत एक बार फिर उस समय गर्म हो गई, जब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक शिवपालसिंह यादव ने भतीजे अखिलेश यादव के प्रति प्रेम जाहिर करते हुए कह दिया कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते हैं, वे तो सिर्फ भतीजे को मुख्यमंत्री बनता हुआ देखना चाहते हैं।
 
शिवपालसिंह यादव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए पारिवारिक एकता की बात कर डाली लेकिन इस बयान ने उत्तरप्रदेश की राजनीति में राजनीतिक सरगर्मियां बेहद गर्म कर दी हैं, क्योंकि सभी यह जानते हैं कि वे राजनीति के बेहद मजबूत खिलाड़ी हैं।
शिवपालसिंह यादव और उन्होंने बेहद लंबा वक्त प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के साथ गुजारा है और जिस तरह मुलायम सिंह यादव के सामने उत्तरप्रदेश में बड़े-बड़े नेता धराशायी होते रहे हैं, उसी तरह शिवपालसिंह यादव का राजनीतिक सफर अखिलेश से कई गुना बड़ा है।
 
अब ऐसे में अगर चाचा और भतीजे साथ आ जाते हैं तो निश्चित तौर पर प्रदेश में एक बार फिर विपक्ष को समाजवादी पार्टी के खिलाफ नई रणनीति के साथ मैदान में उतरना पड़ेगा, क्योंकि अगर अखिलेश के पास युवा जोश है तो शिवपालसिंह यादव के पास जमीन से जुड़े पुराने बुजुर्गों का साथ है।
 
अब ऐसे में अगर चाचा-भतीजे एकसाथ 2022 के चुनाव में मैदान में उतरते हैं तो इसका नतीजा उत्तरप्रदेश की राजनीति में क्या पड़ेगा, इसको लेकर राजनीति के कुछ जानकारों से 'वेबदुनिया' के संवाददाता अवनीश कुमार ने खास बातचीत की। किसने क्या कहा? आइए, आपको बताते हैं।
 
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार ने बताया कि शिवपालसिंह की अखिलेश के साथ 2022 की तैयारी अगर होती है तो कहीं-न-कहीं बीजेपी के साथ-साथ अन्य पार्टियों को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी। जमीनी स्तर पर शिवपाल सिंह यादव का एक बहुत बड़ा राजनीतिक करियर है। राजनीति के सारे दांव शिवपालसिंह यादव बेहद अच्छे से जानते हैं।
 
उनका यह भी कहना था कि वे फिर भतीजे को मुख्यमंत्री बनता हुआ देखना चाहते हैं तो कहीं-न-कहीं किसी लंबी रणनीति के साथ भतीजे को मैदान में उतारने की तैयारी शिवपालसिंह यादव कर रहे होंगे और वहीं अखिलेश यादव के पास युवा जोश के साथ 5 वर्षों तक किए गए विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त है।
 
वरिष्ठ पत्रकार अतुल मिश्रा ने बताया कि शिवपालसिंह व अखिलेश यादव का गठबंधन कहीं-न-कहीं प्रदेश के अंदर बड़ा राजनीतिक फेरबदल कर सकता है और अगर इन दोनों का साथ रहा तो जो नतीजा 2017 में सपा को देखना पड़ा था वह नहीं देखने को मिलेगा और इसका फायदा सपा को निश्चित तौर पर होगा, क्योंकि 2017 में आपसी खींचतान के चलते बेहद लंबा नुकसान समाजवादी पार्टी को उठाना पड़ा था। ऊपर की इस लड़ाई ने नीचे के कार्यकर्ताओं को तोड़ने का काम किया था और संगठन निचले स्तर पर बेहद कमजोर हो गया था जिसका नतीजा सभी के सामने है।
 
जहां 2012 में लंबे जनाधार के साथ समाजवादी पार्टी सत्ता में आई तो वहीं 2017 में 50 का भी आंकड़ा नहीं पार कर पाई थी। अब ऐसे में अगर चाचा-भतीजे एकसाथ आ जाते हैं तो राजनीतिक उठापटक आपको 2022 के चुनाव में देखने को जरूर मिलेगी और चुनाव बेहद रोमांचक होगा। अतुल मिश्रा ने अंत में कहा कि और इसमें कोई दोराय नहीं है कि शिवपालसिंह यादव का राजनीतिक करियर अखिलेश यादव से बेहद बड़ा है और राजनीतिक दांव-पेंच वे अखिलेश यादव से ज्यादा अच्छे से जानते हैं।
 
यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा कि चाचा शिवपालसिंह यादव और भतीजे अखिलेश यादव एकसाथ एक नाव में सवार होते हैं कि नहीं? पर जो कुछ भी हो, इसकी शुरुआत चाचा शिवपालसिंह यादव ने तो कर ही दी है। अब बस इंतजार भतीजे अखिलेश यादव के फैसले का है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Super 30 के संस्थापक आनंद कुमार की बढ़ी धमक, 24 नवंबर को कैम्ब्रिज में देंगे लेक्चर