उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. एसटी हसन ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) को भाजपा की 'B' पार्टी बताया और कहा कि समाजवादी पार्टी को उनके चुनाव लड़ने से कोई नुकसान नही होगा।
हसन ने कहा कि यदि ओवैसी का भाजपा से कोई जुड़ाव नही है तो वह कह दें कि उन्हें यूपी की जनता जिता दे। ऐसा करने से फासिस्ट ताकतों की हार होगी। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा एमबीबीएस में जनसंघ नेताओं की जीवनी पढ़ाई जाने के फैसले की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि MBBS की पढ़ाई में राजनीतिक लोगों का दखल नही होना चाहिए।
सबको चुनाव लड़ने का हक : सपा सांसद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में AIMIM चीफ औवेसी और BJP दोनों मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब मुस्लिम मतदाता जागरूक हो गया है, इसलिए अब ध्रुवीकरण करने से कुछ होने वाला नहीं है।
हसन ने कहा कि चुनाव लड़ने का अधिकार सबको है, वो (ओवैसी) भी लड़ें, लेकिन जब पोलिंग का समय नजदीक आए तो वह जनता के बीच जाकर अल्लाह को हाजिर नाजिर मानते हुए खुलकर बोलें कि सभी लोग उस (उन्हें) उम्मीदवार को वोट दें, जो फासिस्ट ताकतों को हरा दे। यदि वह ऐसा करने में सफल होते हैं तो उन पर लगा BJP की B पार्टी का तमगा स्वतः ही हट जाएगा।
समाजवादी पार्टी के सांसद का कहना है कि हमारी पार्टी सबको साथ लेकर विकास की तरफ बढ़ेगी। ओवैसी की पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ती है तो उससे समाजवादी पार्टी को नुकसान नहीं होने वाला है। इसका नजारा पहले ही बंगाल चुनावों में दिखाई दे चुका है।
एमबीबीएस में जनसंघ नेताओं के बारे में पढ़ाना गलत : मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा MBBS के की पढ़ाई में छात्रों जनसंघ संस्थापकों के बारे में पढ़ाए जाने के सवाल पर मुरादाबाद से सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने नाराजगी जताते हुए भाजपा पर हमला बोला। उनका कहना है कि डॉक्टरी की पढ़ाई में राजनीति और राजनीतिक लोगों का दखल नहीं होना चाहिए।
MBBS बहुत टफ कोर्स है, यदि हम विषय से हटकर कुछ और पढ़ाएंगे तो हमारी शिक्षा प्रणाली कहां जाकर रुकेगी। जिन लोगों की राजनीति ही संदिग्ध थी, वो लोग सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काकर वोट लिया करते थे। ऐसे लोगों को इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर जेल भेज दिया था क्योंकि वह सांप्रदायिकता भड़काते थे।
उन्होंने कहा कि अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सावरकर और हेडगेवार को कोर्स में पढ़ाने का औचित्य क्या है? एमबीबीएस पढ़कर डॉक्टर बना जाता है और मरीजों का इलाज होता है।
जिन जनसंघ संस्थापकों का विषय से कोई लेना-देना नही है, उन्हें सिलेबस में लाना ही सही नहीं है। यदि अपने बच्चों को इन जनसंघ से जुड़े व्यक्तित्व को पढ़ाना है तो उन्हें घरों में ही पढ़ाएं। इससे शिक्षा के स्तर में ही गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि MBBS के छात्रों को मरीजों की जिंदगी के लिए लड़ना पड़ता है। मौत के मुंह से बाहर लाना होता है। ऐसे में इन महापुरुषों की जीवनी जीवन नहीं बचा सकती है।