- ईशु शर्मा
आज के दौर में बढ़ती महंगाई को देखते हुए हमें कभी न कभी ये खयाल ज़रूर आया होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) अनलिमिटेड नोट क्यों नहीं छापता है जिससे देश में बढ़ती महंगाई और गरीबी से राहत मिले? आपको बता दें कि RBI के ज़्यादा नोट छापने से देश की महंगाई कम नहीं बल्कि और ज़्यादा बढ़ जाएगी। इसलिए RBI अपनी मुद्रा नीति और वित्त मंत्रालय के अनुसार ही नोट छापता है। नोट छापने का कांसेप्ट पूरी तरह से सप्लाई और डिमांड पर निर्भर करता है और इस कांसेप्ट को आप एक उद्धरण के रूप में समझ सकते हैं-
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मान लीजिए कि 2 व्यक्ति एक देश में रहते हैं और उनकी आय 20 रुपये प्रतिवर्ष है साथ ही उस देश में खाने के लिए सिर्फ चावल ही मिलता है।
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इस देश में 20 रुपए के 1 किलो चावल है और हर साल इस देश में 2 किलो चावल का उत्पादन होता है।
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अगर सरकार ज़्यादा नोट छापने लग जाए तो आपकी आय 20 रुपए से बढ़कर 40 रुपए हो जाएगी पर इसके बाद भी चावल तो हर साल 2 किलो ही उत्पाद होगा।
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ज़्यादा पैसा होने के कारण चावल 20 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 40 रुपए प्रति किलो मिलने लगेगा। इस वजह से डिमांड बढ़ेगी और सप्लाई कम रहेगी जो इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति) अर्थात महंगाई की स्थिति को बढ़ावा देगा।
ज़्यादा नोट छापने से हमारी अर्थव्यवस्था के कुछ मुख्य पहलुओं पर प्रभाव पड़ सकता है। चलिए जानते हैं इन मुख्य पहलुओं के बारे में-
1. मुद्रास्फीति (Inflation) : RBI के ज़्यादा नोट छापने के कारण अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति बढ़ सकती हैं क्योंकि देश में कैश फ्लो ज़्यादा होने के कारण डिमांड बढ़ेगी, पर सप्लाई सामान्य ही रहेगी जिसके कारण बाजार में महंगाई होगी।
2. GDP (Gross Domestic Product) : ज़्यादा कैश फ्लो होने के कारण हमारे देश की जीडीपी पर भी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि नोट छापने के लिए RBI को विदेशी मुद्रा और सोना रिज़र्व रखना पड़ता है। ज़्यादा नोट छापने के कारण विदेशी मुद्रा कम होगी जो भारत के विकास की गति को धीमा बताएगी जिससे जीडीपी पर प्रभाव पड़ेगा।
3. न्यूनतम आरक्षित प्रणाली (Minimum Reserve System) : RBI 1956 से न्यूनतम आरक्षित प्रणाली के आधार पर नोट छापता है जिसमें RBI को नोट छापने के लिए न्यूनतम 200 करोड़ की राशि रिज़र्व करनी पड़ती है। यह राशि सोना व विदेशी मुद्रा के रूप में होती है। ज़्यादा नोट छापने के लिए ज़्यादा फंड की ज़रूरत होती है अगर ये न्यूनतम राशि नियंत्रित न हो तो अर्थव्यवस्था में संकट आ सकता है।
4. पुराने नोट के बदले नए नोट : RBI नए नोट पुराने नोट के बदले छापता है, जो नोट फटे या पुराने हो तो लोग उन्हें उनके बैंक में जाकर बदल सकते हैं। RBI उन नोट के बदले में नए नोट छापता है।
इसके साथ ही RBI अपनी मुद्रा नीति एवं सरकार के फैसले के अनुसार ही नोट छापने में किसी तरह का परिवर्तन अपनाती है।