Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

video : क्या Covid जितना खतरनाक है Mpox, जानिए Myths और Facts, Ministry of Health ने जारी की चेतावनी

हमें फॉलो करें monkeypox

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 22 अगस्त 2024 (19:08 IST)
How is monkeypox caused : एमपॉक्स जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, अब पूरी दुनिया इस बीमारी को लेकर चर्चा कर रही है। अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रही यह वायरल बीमारी तेजी से फैलती है और इसका असर हर तरह के क्षेत्र में हो सकता है। इस वजह से इस बीमारी को काफी खतरनाक माना जा रहा है। मंकीपॉक्स वायरस को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं। इसे लेकर भारत की Ministry of Health ने भी चेतावनी जारी की है। एक्स में लिखी पोस्ट में उसने कहा है कि यह एक वायरल संक्रमण है जो से होता है। लक्षणों को नजरअंदाज न करें और खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखने के लिए सही कदम उठाएं। यदि लक्षण दिखाई दें या पुष्ट मामले के संपर्क में आएं, तो तुरंत अपनी स्वास्थ्य सुविधा से संपर्क करें। 

क्या एमपॉक्स और स्मालपॉक्स दोनों एक हैं
एमपॉक्स और स्मालपॉक्स जिन वायरस की वजह से होते हैं उनका आपसी संबंध जरूर है, लेकिन दोनों बीमारियां एक दूसरे से बहुत अलग है। स्मालपॉक्स के मुकाबले एमपॉक्स आम तौर पर कम संक्रामक और कम गंभीर होता है। दोनों के लक्षणों में कई समानताएं देखने को मिलती हैं लेकिन दोनों में बचाव और इलाज के तरीकों में काफी अंतर रहता है।

ALSO READ: क्या मंकीपॉक्स हिंद-प्रशांत क्षेत्र को भी अपनी चपेट में ले लेगा?
क्या हमेशा जानलेवा होता है 
एमपॉक्स हमेशा जानलेवा नहीं होता। इससे संक्रमण के अधिकांश मामले माइल्ड होते हैं और उचित मेडिकल केयर से अधिकांश लोग ठीक हो जाते हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में मौत हो सकती है। खासकक छोटे बच्चों, गर्भवतियों और ऐसे लोगों को खतरा ज्यादा होता है जिनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है। इसकी मृत्यु दर 3% है, जो मंकीपॉक्स के अन्य प्रकारों की 0।1% मृत्यु दर से काफी ज्यादा है

क्या कोविड जितना खतरनाक  
एमपॉक्स नया कोविड नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह बंदर या चूहों से इंसानों में आने के बाद एक इंसान से दूसरे इंसान में ये वायरस 4 तरह से फैलता है, जिसमें से एक तरीका है स्किन टू स्किन फैलना। यानी एक इंसान के दूसरे से टकराने पर छूने पर ये वायरस फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाने पर भी ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति का खून चढ़ने से या बॉडी फ्लूड किसी भी तरह से एक्सचेंज होने पर भी ये बीमारी फैल सकती है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति की किसी भी तरह की चीजें शेयर करने पर जैसे बेड शीट, गिलास, बर्तन का उपयोग करने से भी मंकीपॉक्स होने की संभावना बढ़ जाती है। 

भारत और दुनिया में कितने मामले 
2022 से अब तक भारत में मंकीपॉक्स के कुल 30 मामले सामने आए हैं। आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था। भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला जुलाई 2022 में सामने आया था। WHO के अनुसार 2022 से अब तक दुनिया भर के 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले सामने आ चुके हैं और 208 लोगों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में मंकीपॉक्स के मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन अभी भी बड़े प्रकोप की संभावना कम है। कई अन्य वायरल बीमारियों के विपरीत, मंकीपॉक्स आसानी से नहीं फैलता है और इसके प्रसार के लिए निकट, निरंतर संपर्क की आवश्यकता होती है।

1980 के बाद पैदा हुए लोगों को खतरा ज्यादा क्यों
दुनियाभर में 1960 से लेकर 1970 तक स्मालपॉक्स वायरस के काफी मामले आए थे। वायरस से बचाव के लिए स्मालपॉक्स की वैक्सीन से बड़े पैमाने पर टीकाकरण किया गया। केस कम होने लगे और साल 1980 के आते आते स्मालपॉक्स के केस आने बंद हो गए। 1980 में WHO ने स्मालपॉक्स बीमारी को खत्म घोषित कर दिया और इसका टीकाकरण भी खत्म कर दिया गया। केवल 1980 तक पैदा हुए बच्चों को जन्म के समय स्मालपॉक्स यानी चेचक की वैक्सीन लगी थी। उसके बाद इसका वैक्सीनेशन नहीं हुआ। चूंकि 1980 से पहले जन्म वाले अधिकतर लोगों को स्मालपॉक्स की वैक्सीन लग चुकी है तो उनको मंकीपॉक्स से भी खतरा कम हो सकता है।

क्या हैं एमपॉक्स से बचाव के उपाय 
मंकीपॉक्स से बचाव के लिए अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें और संक्रमित व्यक्तियों या जानवरों के सीधे संपर्क से बचें। साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोएं, और ज़रूरत पड़ने पर हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करें। जंगली जानवरों, खास तौर पर कृन्तकों और प्राइमेट्स को न छुएं और बीमार जानवरों से सावधान रहें।
जिन क्षेत्रों में मंकीपॉक्स का प्रकोप है, वहां व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का उपयोग करें और अच्छी पर्यावरणीय स्वच्छता बनाए रखें। सुनिश्चित करें कि कोई भी कट या घाव ढंका हुआ है और अगर आपको बुखार, दाने या सूजी हुई लिम्फ नोड्स जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से सलाह लें। इनपुट एजेंसियां

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारत: विस्थापन से सपने साकार करने तक का सफ़र