Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भारत-अमेरिकी रिश्तों को मजबूत करना जारी रखेंगे बिडेन, भारतवंशी विशेषज्ञों ने जताई उम्‍मीद

हमें फॉलो करें भारत-अमेरिकी रिश्तों को मजबूत करना जारी रखेंगे बिडेन, भारतवंशी विशेषज्ञों ने जताई उम्‍मीद
, रविवार, 8 नवंबर 2020 (22:55 IST)
वॉशिंगटन। अमेरिका में थिंक टैंक और भारतवंशी विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रपति निर्वाचित हुए जो बिडेन भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूत करना जारी रखेंगे। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशल स्ट्डीज थिंक टैंक के रिक रोसो ने कहा, बिडेन प्रशासन भारत के लिए मुख्यतः सकारात्मक रहेगा।

उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि सहयोग के सबसे सकारात्मक क्षेत्रों को बरकरार रखा जाएगा, खासकर रक्षा क्षेत्र को।रोसो ने कहा कि दो प्रमुख मुद्दे हैं जो वास्तव में अमेरिका-भारत संबंधों को परिभाषित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, पहला, बिडेन प्रशासन रूस से रक्षा खरीद को लेकर भारत पर संभावित प्रतिबंध से कैसे निपटता है? दूसरे, अगर अमेरिका भारत में सामाजिक मुद्दों को लेकर अपनी चिंताओं को जोरशोर से उठाता है तो क्या दरार पैदा होगी?

उन्होंने यह भी कहा कि बिडेन प्रशासन में भारत को ईरान के साथ रिश्तों को लेकर कम दबाव का सामना करना पड़ेगा और अक्षय ऊर्जा सहयोग को महत्व किया जाएगा।

बहरहाल, रेसो ने कहा कि देशों के बीच व्यापार तनाव जारी रहेगा। 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर पीस' थिंक टैंक में 'टाटा चेयर फॉर स्ट्रैटेजिक' एशले जे टेलिस के मुताबिक, इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जो बिडेन भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूत करेंगे।

उन्होंने कहा कि बिडेन को अपने देश में समस्याओं से पार पाना होगा और विदेश में अमेरिकी नेतृत्व को बहाल करना होगा। इसके अलावा सब कुछ बाद में है। नॉर्थ कैरोलाइना में रहने वाले निर्वाचित राष्ट्रपति के पुराने दोस्त स्वदेश चटर्जी ने कहा कि बिडेन वास्तव में चाहते हैं कि भारत, अमेरिका का सबसे मजबूत दोस्त और 21वीं सदी में उसका सबसे बेहतरीन सहयोगी हो।

उन्होंने कहा कि बिडेन इसमें यकीन रखते हैं। चटर्जी ने कहा कि भारत-अमेरिकी रिश्ते अब व्यक्तियों पर निर्भर नहीं करते हैं। यह गहरे हैं तथा और बेहतर होंगे। उन्होंने कहा कि बिडेन ने हमेशा भारत-अमेरिकी संबंधों का समर्थन किया है। अगर सीनेट विदेश संबंध समिति के प्रमुख के तौर पर बिडेन की भूमिका नहीं होती तो ऐतिहासिक परमाणु करार अमेरिकी कांग्रेस से कभी पारित नहीं हो पाता।

चटर्जी ने कहा कि उस समय रिपब्लिक प्रशासन था और बिडेन ने डेमोक्रेट के तौर पर अहम भूमिका निभाई, क्योंकि वह भारत-अमेरिका रिश्तों में दृढ़ विश्वास रखते हैं। भारत-अमेरिका के बीच 2005 में परमाणु समझौते की शुरुआत हुई थी।
1974 में भारत द्वारा पहला परमाणु परीक्षण करने के बाद अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके करीब 30 साल बाद यह समझौता हुआ था। ऐतिहासिक करार पर जॉर्ज बुश के कार्यकाल में हस्ताक्षर किए गए थे।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

DC vs SRH : विलियम्सन के गगनभेदी छक्कों ने हैदराबाद की उम्मीदें जगाई (लक्ष्य 190)