ग़ालिब के मजेदार लतीफे : आम पर नाम

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एक रोज़ बादशाह चन्द मुसाहिबों  के साथ आम के बाग ' हयात बख्श ' में टहल रहे थे-साथ में गालिब भी थे-

आम के पेडों पर तरह-तरह रंगबिरंगे आम लदे हु ए थे- यहां  का आम बादशाह और बेगमात के सवाय किसी को मोयस्सर नहीं आ सकता था-

गालिब बार बार आमोँ की तरफ गौर से देखते थे- बादशाह ने पूछा 'गालिब इस क़दर गौर से क्या देखते हो'-

गालिब ने हाथ बाँध कर अर्ज़ किया 'पीरोमुरशद, देखता हूं कि किसी आम पर मेरा या मेरे घर वालों का नाम भी लिखा है या नहीं-

बादशाह मुस्कुराएं और उसी रोज़ एक टोकरा आम गालिब के घर भेज दिए।
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