लखनऊ/प्रयागराज। उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी निषाद पार्टी के मुखिया और विधान परिषद सदस्य संजय निषाद ने दावा किया है कि भगवान राम राजा दशरथ के नहीं बल्कि श्रृंगी ऋषि निषाद के पुत्र थे। विपक्ष ने इस बयान पर भाजपा से रुख स्पष्ट करने की मांग की है।
निषाद ने गत रविवार को प्रयागराज में कहा था कि ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम का जन्म उनकी मां को खीर खिलाने के बाद हुआ। वास्तव में ऐसा नहीं होता। इसलिए कहा जाता है कि राम, दशरथ के तथाकथित पुत्र हैं और असल में वे श्रृंगी ऋषि निषाद के पुत्र थे।
उत्तरप्रदेश के लिए भाजपा के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह से इतर भगवान राम को लेकर निषाद की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कहा कि निषाद ने मुझे भी बहुत कुछ बोला है। उनकी पार्टी राजग का हिस्सा है, वे हमारे अच्छे सहयोगी हैं और हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही भाजपा के मछुआरा प्रकोष्ठ की ओर से एक बड़ा कार्यक्रम होगा जिसमें अपना दल, निषाद पार्टी के नेता भी शामिल होंगे। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्हें इस बयान के बारे में जानकारी नहीं है।
इस बीच विपक्ष ने निषाद के इस बयान पर भाजपा को घेरने की कोशिश करते हुए सवाल किया कि क्या वे इस बयान से सहमत है? ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के मुखिया एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत से निषाद के इस बयान पर स्पष्टीकरण देने की मांग की है।
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आशुतोष वर्मा ने कहा कि निषाद अगर भाजपा से हाथ मिलाने के बाद ऐसी बात करते हैं तो भाजपा से पूछा जाना चाहिए कि उसका इस पर क्या रुख है? उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ आते ही निषाद राम-रहीम की बात करने लगे। निषाद अब एमएलसी हो गए हैं, उन्हें अब गंभीर मुद्दों पर बात करनी चाहिए। उत्तरप्रदेश कांग्रेस के मीडिया संयोजक ललन कुमार ने निषाद से बिना शर्त माफी की मांग करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कभी मां सीता का अपमान करते हैं और भगवान हनुमान को दलित बताते हैं। उसी तरह निषाद भी मानसिक दिवालियापन का शिकार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि भगवान राम और मंदिर को लेकर राजनीति करने वाली भाजपा स्पष्ट करे कि निषाद के बयान पर उसका क्या रुख है?