लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस बार चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उनकी सीट को सस्पेंस बना हुआ था वह खत्म हो गया है।
अखिलेश यादव मैनपुरी की करहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरेंगे। खबरों के अनुसार यहां पर करीब डेढ़ लाख यादव मतदाता है, इसलिए इसे अखिलेश यादव के सुरक्षित सीट माना जा रहा है। अखिलेश पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। इससे पहले जब वे मुख्यमंत्री थे, तब वे विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे।
अखिलेश इस समय आजमगढ़ से सांसद हैं। लिहाजा उनके अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की ही किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। अखिलेश ने इसी सप्ताह कहा था कि वे आजमगढ़ की जनता से पूछकर ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
यादव मतदाताओं का दबदबा : अखिलेश के पिता सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव फिलहाल मैनपुरी से सांसद हैं। वे 5वीं बार यहां से सांसद चुने गये हैं। मैनपुरी सीट से पिछली 9 बार से सपा का ही सांसद चुना जाता रहा है। मुलायम का करहल से गहरा नाता है। उन्होंने यहीं के जैन इंटर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी और वे यहां शिक्षक भी रहे।
करहल सीट पर यादव मतदाताओं का दबदबा है। यहां इस बिरादरी की आबादी 28 प्रतिशत है। इसके अलावा इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत, ठाकुर की 13 प्रतिशत, ब्राह्मण की 12 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता 5 प्रतिशत हैं।
भाजपा ने साधा निशाना : भाजपा ने अखिलेश की करहल सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा पर कहा कि सपा अध्यक्ष अगर करहल को अपने लिए सुरक्षित सीट मानते हैं तो आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी यह गलतफहमी दूर हो जाएगी। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि अखिलेश को अगर यह लगता है कि करहल उनके लिए सुरक्षित सीट है तो यह उनकी गलतफहमी है, जो विधानसभा चुनाव में दूर हो जाएगी। उनके पिता मुलायम सिंह यादव बसपा अध्यक्ष मायावती की अपील के बाद किसी तरह से मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव जीत पाए थे। इस बार भाजपा करहल में साइकिल को पंक्चर कर देगी ताकि वह एक्सप्रेस वे के रास्ते लखनऊ न पहुंच सके।" करहल सीट पर आगामी 20 फरवरी को तीसरे चरण में मतदान होगा।