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Budget 2021 : बजट में स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर जोर, नौकरीपेशा वर्ग निराश

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, सोमवार, 1 फ़रवरी 2021 (20:06 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के कारण बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 2021-22 के आम बजट में स्वास्थ्य और बुनियादी ढ़ांचे तथा विभिन्न सुधारों पर खास जोर दिया है। बजट में जहां उद्योग जगत को प्रोत्साहन मिला वहीं नौकरी-पेशा को आयकर में कोई राहत नहीं मिलने से निराशा हाथ लगी।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में अगले वित्त वर्ष के लिए 34,83,236 करोड़ रुपए का बजट पेश किया। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 30,42,230 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया गया था जो संशोधित अनुमान में बढ़कर 34,50,305 करोड़ रुपए पहुंच गया।

देश के इतिहास में पहली बार पेश डिजीटल बजट में पेट्रोल पर ढाई रुपए और डीजल पर चार रुपए प्रति लीटर का नया अधिभार लगाने का प्रस्ताव कर कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों को आगे बढाने की रूपरेखा रखी गई है। कृषि क्षेत्र से इतर आमदनी वाले किसानों को भी कर के दायरे में लाया गया है। बजट में बेरोजगारी की विकराल समस्या से निपटने के लिए कोई बड़ी या विशेष योजना शुरू करने तथा महंगाई पर लगाम लगाने के उपायों का भी विशेष ऐलान नहीं किया गया है।

बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर बड़ा आर्थिक सुधार किया है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए वित्तीय घाटे का अनुमान साढ़े तीन प्रतिशत से बढ़ाकर साढ़े नौ प्रतिशत किया गया है, जबकि अगले वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इसे वर्ष 2025-26 तक जीडीपी के 4.5 प्रतिशत से कम पर लाने का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण बदहाल अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए इस बजट में मुख्य रूप से छह स्तम्भों पर बहुत अधिक जोर दिया गया है जिनमें स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण, वास्‍तविक और वित्‍तीय पूंजी, बुनियादी ढांचा, आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी में नवजीवन का संचार,नवोन्‍मेष और अनुसंधान एवं विकास तथा न्‍यूनतम सरकार और अधिकतम शासन शामिल है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि असाधारण परिस्थिति में पेश इस बजट के दिल में गांव और किसान है। उन्होंने कहा कि बजट में यथार्थ का एहसास और विकास का विश्वास भी है। इसमें विकास के लिए नए अवसरों को व्यापक बनाने, युवाओं के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने, मानव संसाधन को नई ऊंचाई देने, नए क्षेत्रों में ढांचागत विकास करने, तकनीक को अपनाने और नए सुधारों को लाने का प्रयास किया गया है। श्रीमती सीतारमण ने बाद में कहा कि यह बजट बुनियादी ढांचे को मजबूत करने वाला और रोजगार के अवसर बढ़ाने वाला है। इससे अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी।

वहीं विपक्ष ने बजट में गरीब और आम आदमी की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार ने देश की संपत्ति को अपने पूंजीपति मित्रों में बांटने की पूरी व्यवस्था की है। उद्योग जगत ने बजट की प्रशंसा करते हुए इसे एक असाधारण, स्पष्ट और समग्र सोच वाला दस्तावेज बताया है। श्रमिक संगठनों ने केंद्रीय बजट को ‘कॉर्पोरेट लूट’ करार देते हुए कहा है कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों में विनिवेश पर फिर से विचार करना चाहिए।

बजट में स्‍वास्‍थ्‍य और खुशहाली के क्षेत्र में 137 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2,23,846 करोड़ रुपए का व्‍यय रखा गया है। इसमें निवारण, उपचार तथा सुधार पर विशेष जोर दिया गया है। स्वास्थ्य कल्याण में सुधार के कदम उठाते हुए आगामी वित्त वर्ष में कोविड टीके के लिए 35 हजार करोड़ रुपए दिए गए हैं। स्वदेशी न्यूमोकोकल वैक्सीन का दायरा देशभर में बढ़ाया जाएगा, जिससे हर वर्ष 50,000 बच्‍चों की मौतों को रोका जा सकेगा। प्रधानमंत्री आत्‍मनिर्भर स्‍वस्‍थ भारत योजना के लिए छह वर्ष में 64,180 करोड़ रुपए व्‍यय किए जाएंगे।

मिशन पोषण 2.0 का शुभारंभ कर पोषणगत मात्रा, डिलीवरी, आउटरीच तथा परिणाम को सुदृढ़ बनाया जाएगा। साथ ही 112 आकांक्षी जिलों में पोषणगत परिणामों में सुधार लाने के लिए एक सुदृढ़ीकृत कार्यनीति अपनाई जाएगी। जल जीवन मिशन (शहरी) के लिए पांच वर्ष में 2,87,000 करोड़ रुपए के व्यय से 2.86 करोड़ परिवारों को नल कनेक्‍शन, सभी 4,378 शहरी स्‍थानीय निकायों में सर्व सुलभ जल आपूर्ति तथा 500 अमृत शहरों में तरल कचरा प्रबंधन किया जाएगा। शहरी स्‍वच्‍छ भारत मिशन 2.0 के लिए पांच वर्ष की अवधि में 1,41,678 करोड़ रुपए का कुल वित्तीय आवंटन किया गया है।

बजट में पुराने और अनुपयुक्‍त वाहनों को हटाने के लिए एक स्‍वैच्छिक वाहन स्‍क्रैपिंग नीति की बात कही गई है, जो निजी वाहनों के मामले में 20 वर्ष तथा वाणिज्यिक वाहनों के मामलें में 15 वर्ष में लागू होगी। उत्‍पादन से जुड़ी प्रोत्‍साहन योजना (पीएलआई) के तहत 13 क्षेत्रों में अगले पांच वर्षों में 1.97 लाख करोड़ रुपए की व्‍यवस्‍था की गई है। पीएलआई योजना के अतिरिक्‍त मेगा निवेश टेक्‍सटाइल पार्क (मित्र) योजना के तहत तीन वर्ष की अवधि में 7 टेक्‍सटाइल पार्क स्‍थापित किए जाएंगे।

विकास वित्तीय संस्‍थान (डीएफआई) के पूंजीकरण के लिए 20,000 करोड़ रुपए की धनराशि मुहैया कराई गई है, ताकि यह बुनियादी ढांचा वित्त पोषण के लिए प्रदाता और उत्‍प्रेरक के रूप में कार्य कर सकें। पूंजीगत व्‍यय में तेज वृद्धि कर 5.54 लाख करोड़ रुपए प्रदान किए गए हैं, जो 2020-21 में आवंटित 4.12 लाख करोड़ रुपए से 34.5 प्रतिशत अधिक है। राज्‍यों और स्‍वायत्तशासी संगठनों को उनके पूंजीगत व्‍यय के लिए 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्रदान की जाएगी।

बजट में सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय को 1,81,101 लाख करोड़ रुपए का अब तक का सर्वाधिक आवंटन किया गया है। पांच लाख 35 हजार करोड़ रुपए की भारतमाला परियोजना के तहत 3.3 लाख करोड़ रुपए की लागत से 13,000 किमी लंबी सड़कों का निर्माण शुरू किया जा रहा है।

रेलवे के लिए बजट में 1,10,055 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है, जिसमें से 1,07,100 करोड़ रुपए पूंजीगत व्‍यय के लिए है। वर्ष 2030 तक भविष्य के लिए रेल व्यवस्था को ध्यान में रखकर 2023 तक ब्रॉड-गेज मार्गों पर शत-प्रतिशत विद्युतिकरण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार मेट्रो रेल नेटवर्क का विस्‍तार करके और सिटी बस सेवा प्रारंभ कर शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने की दिशा में काम करेगी।

सार्वजनिक बस परिवहन सेवाओं का विस्‍तार करने के लिए 18,000 करोड़ रुपए की लागत से एक नई योजना शुरू की जाएगी। इसके तहत नवोन्‍मेषी पीपीपी मॉडल लागू किया जाएगा, जिसके तहत निजी क्षेत्र के परिचालकों को 20,000 से ज्‍यादा बसों की खरीद, परिचालन, रख-रखाव और वित्‍त का प्रबंधन करने का अवसर मिलेगा।

बड़े-बड़े पत्‍तनों पर सरकारी और निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत प्रमुख पत्‍तनों द्वारा सात परियोजनाएं प्रस्‍तावित की जाएंगी जिनकी लागत 2,000 करोड़ रुपए से अधिक होगी। आने वाले पांच वर्षों में भारतीय शिपिंग कंपनियों को मंत्रालयों और सीपीएसई के वैश्विक टेंडरों में 1624 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। वर्ष 2024 तक रिसाइंकिलिंग की मौजूदा क्षमता को मौजूदा 45 लाख लाइट डिस्‍प्‍लेसमेंट टन (एलडीटी) से बढ़ाकर दोगुना कर दिया जाएगा। इससे डेढ़ लाख अतिरिक्‍त नौकरियां पैदा होंगी।

बजट में उज्‍ज्‍वला योजना का विस्‍तार कर इसमें एक करोड़ और लाभार्थियों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है। अगले तीन वर्ष में 100 अन्‍य जिलों को सिटी गैस डिस्‍ट्रीब्‍यूशन नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। जम्‍मू-कश्‍मीर में एक नई गैस पाइप लाइन परियोजना शुरू की जाएगी। बीमा कंपनियों में स्वीकृत एफडीआई सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने और विदेशी स्‍वामित्‍व तथा नियंत्रण से सुरक्षा बढाने के भी बजट में प्रस्ताव किए गए हैं।

बजट के प्रावधानों के अनुसार, 15,000 से अधिक विद्यालयों में गुणवत्ता की दृष्टि से सुधार किया जाएगा, ताकि वहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी घटकों का अऩुपालन हो सके। वह अपने-अपने क्षेत्र में एक उदाहरणपरक विद्यालय के रुप में उभरकर आएंगे और अन्य विद्यालयों को भी सहारा देंगे। गैर-सरकारी संगठनों/ निजी स्कूलों और राज्यों के साथ भागीदारी में 100 नए सैनिक स्कूल स्थापित किए जाएंगे।

लद्दाख में उच्च शिक्षा तक पहुंच बनाने के लिए लेह में केन्द्रीय विश्व विद्यालय स्थापना की जाएगी। जनजातीय क्षेत्रों में 750 एक्लव्य मॉडल रिहायशी स्कूलों की स्थापना करने का लक्ष्य रखा गया है। राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के लिए तैयार कार्यप्रणाली तैयार के तहत पांच वर्ष में 50,000 करोड़ रुपए के व्यय का प्रावधान किया गया है। साथ ही संपूर्ण अनुसंधान व्यवस्था को मजबूत करने और राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।(वार्ता)

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