नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को संसद में अपना पहला आम बजट पेश करेंगी जिसमें वह अर्थव्यवस्था में तेजी लाने, किसानों की आय में बढ़ोतरी करने, सरकारी निवेश में बढ़ोतरी करने के साथ ही निजी निवेश आकर्षित करने के उपाय करने, उपभोग बढ़ाने की नीति अपनाने और वेतनभोगियों को आयकर तथा विभिन्न मदों में छूट के जरिये खुश करने की कोशिश कर सकती हैं।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का भी यह पहला आम बजट है। वित्त मंत्री का कामकाज संभालने के बाद से ही निर्मला सीतारमण बजट की तैयारियों में लग गईं और हर क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर महत्वपूर्ण देशों के राजनयिकों तथा प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से भी मुलाकात कर चुकी हैं। निर्मला सीतारमण के सामने उम्मीदों का पहाड़ है और उनके लिए सभी को खुश करना आसान भी नहीं होगा।
बजट में आर्थिक गतिविधियों में आ रही सुस्ती को थामते हुए ऐसी नीतियां बनाने की जरूरत है जिससे रोजगार के अधिक अवसर सृजित हों। नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किये जाने के बाद से अर्थव्यवस्था पर काफी दबाव है और उम्मीद के अनुरूप रोजगार के अवसर भी सृजित नहीं हो रहे हैं। निजी निवेश में तेजी नहीं आ रही है और जब तक निजी निवेश में तेजी नहीं आयेगी तब तक रोजगार के अधिक अवसर सृजित नहीं हो सकते हैं।
वित्त मंत्री वित्तीय सुदृढ़ीकरण को जारी रखते हुए राजस्व घाटा और चालू खाता घाटा को भी लक्षित दायरे में रखने का भरपूर कोशिश करेंगी। उद्योग संगठन भी वेतनभोगियों के लिए आयकर में छूट न्यूनतम सीमा पांच लाख रुपए करने की मांग कर चुके हैं और उम्मीद की जा रही है कि लोगों में बचत को बढ़ावा देने के उपाय के तहत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश पर कर में छूट का लाभ दिया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त चिकित्सा बीमा जैसे क्षेत्रों में भी छूट बढ़ाए जाने की उम्मीद है लेकिन अमीरों पर शिकंजा कसा जा सकता है। उन पर आयकर के साथ ही अधिभार लगाए जाने की संभावना है।