नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि रोजगार के अवसरों को प्रोत्साहन देने के लिए छोटे उद्योगों की संचालन प्रक्रिया को सरल बनाने तथा लोगों के जीवन पर अधिक प्रभाव डालने वाले क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है।
संसद के दोनों सदनों में पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2018-19 में कहा गया है कि समाज के समग्र विकास के लिए अधिक रोजगार जुटाने वाले क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। इनमें रबर और प्लास्टिक उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल उत्पाद, परिवहन उपकरण, मशीनरी, मूल धातु और फेब्रिकेटिड धातु उत्पाद, रसायन और रासायनिक उत्पाद, टेक्सटाइल्स और चमड़ा तथा चमड़ा उत्पाद अधिक रोजगार जुटाने वाले उप क्षेत्र शामिल हैं। रोजगार पर आर्थिक प्रगति का प्रभाव बढ़ाने के लिए ऐसे अधिक रोजगार जुटाने वालों क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा।
समीक्षा के अनुसार, पर्यटन जैसे अधिक प्रभाव डालने वाले सेवा क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। प्रमुख पर्यटन केन्द्रों को विकसित करके भ्रमण और सफारी गाइड, होटल, खानपान और हाउसकीपिंग स्टार्टअप, पर्यटन स्थलों पर दुकान आदि जैसे क्षेत्रों में रोजगार जुटाने पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
बड़े बीस राज्यों में दस-दस पर्यटन स्थलों और छोटे राज्यों में नौ-नौ पर्यटन स्थलों की पहचान करने तथा इन पर्यटन स्थलों पर सड़क और हवाई सेवा उपलब्ध कराने का सुझाव दिया गया है। इससे पर्यटन स्थलों के पूरे मार्ग में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा तथा गांव के मजदूरों को बाहर जाने की कम जरूरत पड़ेगी। ये ग्रामीण मजदूर कुल श्रम बल का एक बड़ा हिस्सा होते हैं।
समीक्षा के अनुसार, छोटे उद्योग क्षेत्र के विकास के लिए नीतियों में बदलाव किया जाना चाहिए। छोटे उद्योग केवल लाभ ही अर्जित नहीं करते, बल्कि वे रोजगार के अवसरों के सृजन में तथा अर्थव्यवस्था के लिए उत्पादन में योगदान भी देते हैं। इसलिए सरकार की नीतियां ऐसी होनी चाहिए जो छोटे उद्योग के विकास पर विशेष ध्यान दें।
छोटे उद्योगों में विकसित होने की क्षमता होती है लेकिन संबंधित नीतियां इसमें बाधा बनती हैं। कंपनियों के आकार के आधार पर प्रोत्साहन और कठोर श्रम कानून इसके लिए जिम्मेदार हैं। कंपनियों के काल पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। छोटे उद्योगों के विकास के लिए आकार आधारित सभी प्रकार के प्रोत्साहनों की अवधि कम से कम 10 साल होनी चाहिए।