नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री की अनुपस्थिति में वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे पीयूष गोयल ने शुक्रवार को सुबह 11 बजे संसद में बजट पेश किया। आजादी के बाद से देश में अब तक 14 बार अंतरिम बजट पेश हुए हैं। बजट को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने कमरतोड़ महंगाई की कमर तोड़ दी हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने महंगाई घटाई है। इस दौरान पिछली सरकारों की तुलना में सबसे कम महंगाई दर रही है। हमारी सरकार ने कमर तोड़ महंगाई की कमर तोड़ दी। महंगाई गरीबी पर टैक्स की तरह है। हम महंगाई को दो अंकों से नीचे लाए। सरकार ने देश के आत्मविश्वास को बढ़ाया। भारत अब ट्रैक पर है और विकास समृद्धि की राह पर आगे बढ़ रहा है।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि हमारी सरकार दहाई अंक वाली मुद्रास्फीति पर लगाम कसने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि हमने 'कमरतोड़ महंगाई की कमर तोड़ी' है और हमारे कार्यकाल में औसत मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत रही। वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए गोयल ने कहा कि संप्रग सरकार के 2009-2014 के शासन में मुद्रास्फीति औसतन 10.1 प्रतिशत पर रही थी।
गोयल ने संसद में कहा, '2009-14 के दौरान मुख्य तौर पर खादद्य मुद्रास्फीति बढ़ी थी। इसे देखते हुए हमारी सरकार ने कमरतोड़ महंगाई की कमर तोड़ी। हम मुद्रास्फीति को 4.6 प्रतिशत के औसत पर लेकर आए जो किसी भी अन्य सरकार के पूरे कार्यकाल के मुद्रास्फीति आंकड़े से कम है।'
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2018 में मुद्रास्फीति 2.19 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा कि यदि हम महंगाई को कम नहीं करते तो हमारे परिवारों को खाना, यात्रा और आवास जैसी बुनियादी जरूरतों पर 35 से 40 प्रतिशत अधिक खर्च करना होता।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश के संसाधनों पर पहला हक गरीबों का है। इसके बाद वित्त मंत्री ने सरकार द्वारा कमजोर आर्थिक स्थिति वाले सामान्य वर्ग को दस प्रतिशत आरक्षण, मनरेगा के लिए बजट और खाद्य सब्सिडी बढ़ाने का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि हम दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। हम सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था। आर्थिक सुधार के बाद से औसत जीडीपी विकास सबसे बढ़िया रहा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कई योजनाएं शुरू की है जिसके चलते 5 साल में एफडीआई में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई। हमने एनपीए को कम करने की कोशिश की। हमने एनपीए पर रिजर्व बैंक को स्थिति बताने को कहा। बड़े कारोबारियों को अब लोन चुकाने की चिंता होती है। किसानों की आमदमी दोगुना हुई है।
हमारी सरकार ने बैंकिंग सुधार को आगे बढ़ाया। हमारी सरकार में ये दम था कि हम रिजर्व बैंक से कहें कि बैंकों के लोन को देखें और सही स्थिति को देश के सामने रखेंगे। पारदर्शी प्रक्रिया से हमने एनपीए की समस्या का समाना किया। पहले सिर्फ छोटे बिजनेसमैन पर कर्ज वापस करने का दबाव रहता था, अब बड़े बिजनेसमैन को भी चिंता रहती है. बैंकों के रिकैप्टलाइजेशन के लिए 2.6 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं।