नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने सबके लिए आवास योजना के तहत जो राशि आवंटित की है वह आवास मंत्रालय की नजरों में बहुत कम है। मंत्रालय का कहना है कि बेघर परिवारों को घर मुहैया कराने के लिए इस वर्ष कम से 17,000 करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में केन्द्र सरकार ने मात्र 6200 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की थी। सरकार का कहना है कि उसने वर्ष 2022 तक सबके लिए घर का वादा किया है। संभावना है कि इस वादे को पूरा करने की कोशिश इस साल के बजट से ही हो सकती है लेकिन इसके लिए आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने इस साल के बजट आवंटन में तीन गुना बढ़ोतरी करने की मांग की है।
सरकार ने जहां अगले पांच साल में 'सबके लिए आवास' योजना के तहत एक करोड़ से ज्यादा घर बनाने की योजना बनाई है लेकिन क्या इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सरकार फंड जुटा सकेगी, यह संदेह के घेरे में हो सकता है। मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्रालय को भेजे गए बजट मांग प्रस्ताव में इस आवास योजना पर ही इस बार पूरा जोर दिया है।
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सबके लिए आवास मिशन के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में करीब 20 हजार करोड़ रुपए की मांग की गई है। जबकि मौजूदा 2017-18 में वित्त मंत्री ने मात्र 6200 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। इसी तरह शुरुआती चर्चा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 11,000 करोड़ रुपए आवंटित करने का प्रस्ताव किया था लेकिन आवास मंत्रालय का कहना है कि यह राशि 20,000 करोड़ रुपए से कम नहीं होनी चाहिए।
मंत्रालय की दलील है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक देश के बेघर परिवारों को एक करोड़ घर मुहैया कराने की प्राथमिकता जाहिर की है लेकिन जब योजनाओं के लिए फंड की बात आती है तो वित्त मंत्रालय के पास पर्याप्त धनराशि ही नहीं होती है।