दस प्रतिशत बच्‍चे अपरिपक्वता और जटिलताओं के साथ होते हैं पैदा

Webdunia
शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023 (13:09 IST)
File photo
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और साझीदार संगठनों ने गुरूवार को एक नई रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2020 में लगभग एक करोड़ 34 लाख शिशु पैदा हुआ, जिनमें से लगभग दस लाख बच्चों की मौत, समय से पूर्व जन्म सम्बन्धी जटिलताओं के कारण हो गई।

ये संख्या बताती है कि हर 10 में से एक शिशु, यानि लगभग 10 प्रतिशत शिशुओं का जन्म समय से पूर्व यानि अपरिपक्व हुआ। दुनियाभर में, शिशु के जन्म का सही समय गर्भावस्था के 37 सप्ताहों बाद होता है, जबकि इन बच्चों का जन्म 37 सप्ताहों की गर्भावस्था से पहले ही हो गया।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस स्थिति के लिए, बड़ी संख्या में महिलाओं के ख़राब मातृत्व स्वास्थ्य और कुपोषण के हालात को ज़िम्मेदार ठहराया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन- WHO, यूएन बाल कोष – UNICEF और लन्दन स्वच्छता और ट्रॉपिकल औषधि स्कूल ने कहा है, “चूंकि जीवन के आरम्भिक वर्षों में ही शिशुओं की मौत होने के लिए, समय से पहले ही जन्म यानि अपरिपक्व जन्म है, तो इस तरह के बच्चों की देखभाल को मज़बूत करने के साथ-साथ, विशेष रूप से मातृत्व स्वास्थ्य और पोषण को बेहतर बनाने के प्रयास करने की आवश्यकता है – ताकि शिशुओं के जीवित रहने की सम्भावनाएँ बढ़ाई जा सकें”

इन संगठनों का कहना है कि समय से पूर्व जन्म लेने वाले जो बच्चे जीवित भी रहते हैं, उनमें मुख्य बीमारियां, विकलांगता और विकास सम्बन्धी विलम्ब होने की सम्भावना होती है।

मातृत्व स्वास्थ्य जोखिम : रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सभी क्षेत्रों में, मातृत्व स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्य प्रमुख रुझानों की तरह ही, समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में, पिछले दशक के दौरान कोई ख़ास प्रगति नहीं देखी गई है।

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में मातृत्व और नवजात स्वास्थ्य विभाग की निदेशक डॉक्टर अंशु बैनर्जी का कहना है, “अपरिपक्व शिशु, विशेष रूप से जीवन को जोखिम में डालने वाली, स्वास्थ्य जटिलताओं के लिए निर्बल होते हैं, और उन्हें विशेष स्वास्थ्य देखभाल व ध्यान की ज़रूरत है”

वैश्विक अनुमान : इन संगठनों की रिपोर्ट का नाम है - National, regional, and global estimates of preterm birth in 2020, with trends from 2010: a systematic analysis. इसमें वर्ष 2010 से 2020 के दशक में, समय से पूर्व जन्मों के बारे में वैश्विक, क्षेत्रीय और देशीय स्तर पर अनुमान व रुझान प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें क्षेत्रों व देशों के दरम्यान भारी विषमताएँ पाई गई हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में समय पूर्व जन्म की 65 प्रतिशत संख्या उप-सहारा अफ़्रीका और दक्षिणी एशिया में 13 प्रतिशत थी। सर्वाधिक बुरी तरह प्रभावित देशों में – बांग्लादेश, मलावी और पाकिस्तान रहे हैं। सबसे कम प्रभावित देशों में सर्बिया, मॉल्दोवा और कज़ाख़स्तान देश शामिल हैं।

समय पूर्व जन्म दरें : समय पूर्व जन्म होना, केवल निम्न व मध्य आय वाले देशों का ही एक मुद्दा नहीं है। आंकड़े दिखाते हैं कि इससे दुनिया के सभी हिस्से प्रभावित हैं, जिनमें ग्रीस और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश भी शामिल हैं। डॉक्टर अंशु बैनर्जी का कहना है कि ये संख्याएं, मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में गम्भीर संसाधन निवेश की तात्कालिकता को दर्शाती हैं।

किशोरावस्ता में गर्भ, संक्रमण, ख़राब पोषण जैसी स्थितियां मातृत्व स्वास्थ्य जोखिम, समय पूर्व जन्म से जुड़ी हुई हैं। जटिलताओं का पता लगाने और उनका उपचार करने के लिए, गुणवत्ता वाली जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवा बहुत ज़रूरी है। रिपोर्ट तैयार करने वालों ने, आंकड़ों की उपलब्धता मज़बूत करने के लिए लगातार प्रतिबद्धता का आहवान किया है ताकि यथा स्थिति व यथा आवश्यकता, सहायता पहुंचाने के लिए, उन आंकड़ों का ठोस प्रयोग किया जा सके।
Credit: UN News Hindi

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