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Gaza: भीषण लड़ाई और मदद का अभाव, इस बीच झुलसाने वाली गर्मी में फंसे आम फ़लस्तीनी

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UN

, शुक्रवार, 21 जून 2024 (13:15 IST)
ग़ाज़ा में भीषण लड़ाई, झुलसा देने वाली गर्मी के बीच अति-आवश्यक वस्तुओं की क़िल्लत है और आम फ़लस्तीनियों को बीमारियों के प्रकोप व क़ानून व्यवस्था ढह जाने के प्रभावों से जूझना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायताकर्मियों ने गुरूवार को ग़ाज़ा पट्टी में चिन्ताजनक हालात पर चेतावनी जारी की है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, हिंसक टकराव के कारण विस्थापित हुए लोग सदमे में है और तटीय इलाक़े में एक संकरे इलाक़े में भीषण गर्मी में रहने के लिए मजबूर हैं। लड़ाई जारी रहने और अराजकता व्याप्त होने की वजह से यूएन मानवीय राहतकर्मियों के लिए बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करना बेहद कठिन हो गया है।

मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) ने बताया है कि बच्चों के लिए दूध व खाद्य सामग्री की क़िल्लत है और गर्भवती व स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए पोषण आहार उपलब्ध नहीं है।

प्रसव पूर्व व प्रसव के बाद स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था भी दरक चुकी है और कुछ विस्थापन केन्द्रों पर हर दिन केवल कुछ घंटों के लिए ही चिकित्सा सेवा मुहैया कराई जा रही है। आश्रय स्थलों पर टैंट में आपात हालात में बच्चे पैदा हो रहे हैं और अक्सर रात में कई घंटों तक के लिए मेडिकल सेवा उपलब्ध नहीं है।

रफ़ाह में सन्नाटा : इस बीच, दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित रफ़ाह में लड़ाई और बमबारी जारी रहने की वजह से लोग अब भी विस्थापित हो रहे हैं। फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के अनुसार, 65 हज़ार लोग अब भी रफ़ाह में मौजूद हैं, जबकि छह सप्ताह पहले, इसराइल द्वारा बेदख़ली आदेश दिए जाने और सैन्य अभियान शुरू होने से पहले यहां 14 लाख फ़लस्तीनियों ने शरण ली हुई थी।

OCHA ने बताया है कि विस्थापितों के लिए बनाए गए आश्रय केन्द्रों में घरेलू विस्थापित बेहद भीड़भाड़ भरे माहौल में रहने के लिए मजबूर हैं। टैंट की मरम्मत किए जाने की ज़रूरत है और उन्हें भीषण गर्मी से फ़िलहाल कोई राहत नहीं मिल पा रही है। यूएन एजेंसी ने डेयर अल बालाह, ख़ान यूनिस, अल मवासी इलाक़ों में चार केन्द्रों पर आवश्यकताओं की समीक्षा करने के बाद यह बात कही है, जहां सवा लाख से अधिक लोगों ने शरण ली हुई है।

इस बीच ग़ाज़ा से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जून के शुरुआती दिनों के बाद पहली बार ग़ाज़ा में ईंधन से लदे पांच ट्रकों ने प्रवेश किया है। मगर, अब भी आपूर्ति की क़िल्लत है, चूंकि पिछले दो सप्ताह से ग़ाज़ा में ईंधन की आपूर्ति नहीं की गई थी।

यूएन खाद्य एजेंसी ने सचेत किया है कि ग़ाज़ा पट्टी में क़ानून व्यवस्था के ढहने से लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। चारों और बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई है, सीवर की अव्यवस्था है, और उत्तरी ग़ाज़ा से दक्षिणी इलाक़े तक लोग सदमे में हैं और बुरी तरह थक चुके हैं। ग़ाज़ा पट्टी में बेइत हनून, डेयर अल बालाह, ख़ान युनिस, ग़ाज़ा सिटी समेत कुछ अन्य इलाक़ों में ज़मीनी हमले हुए हैं और लड़ाई की ख़बरें हैं।

कृषि पर गम्भीर असर : संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आकलन दर्शाते हैं कि दक्षिणी ग़ाज़ा में आश्रय, स्वास्थ्य सेवाओं, भोजन, जल व साफ़-सफ़ाई के अभाव के अलावा, ग़ाज़ा में 50 फ़ीसदी से अधिक कृषि योग्य भूमि बर्बाद हो गई है।

इससे ग़ाज़ा की खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में बड़ा व्यवधान आया है. संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और यूएन सैटेलाइट केन्द्र (UNOSAT) द्वारा खेतों व अन्य कृषि सम्बन्धी ढांचों की समीक्षा किए जाने के बाद यह चेतावनी जारी की गई है।

ग़ाज़ा पट्टी का 40 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रफल, मैदानों, सब्ज़ी उद्यानों और बग़ीचों से घिरा हुआ है, मगर 150 वर्ग किलोमीटर तक फैले इलाक़े में बमबारी और लड़ाई के कारण कृषि योग्य भूमि को नुक़सान पहुंचा है।

यूएन एजेंसी के अनुसार, सैकड़ों कृषि सम्बन्धी ढांचे क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें फ़सल भंडारण, भेड़ पालन, मीट उत्पादन समेत अन्य केन्द्र हैं। वहीं, क़रीब 50 फ़ीसदी ऐसे कुंओं को भी नुक़सान पहुंचा है, जिन्हें कृषि कार्य में इस्तेमाल में लाया जाता है। ग़ाज़ा स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार अब तक इसराइली सैन्य कार्रवाई में 37 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों की जान गई है और 85 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं।

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