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गाजा संकट : आम नागरिकों को इलाके खाली करने के ‘अस्त-व्यस्त आदेशों’ की निन्दा

हमें फॉलो करें गाजा संकट : आम नागरिकों को इलाके खाली करने के ‘अस्त-व्यस्त आदेशों’ की निन्दा
, शनिवार, 27 जनवरी 2024 (19:39 IST)
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की ओर से यह चेतावनी, गाजा पट्टी में पिछले चार महीने से जा रही इसराइली बमबारी की पृष्ठभूमि में जारी की गई है। अक्टूबर 2023 में चरमपंथी गुट हमास ने दक्षिणी इसराइल में हमले किए, जिनमें लगभग 1,200 इसराइली मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बन्धक बना लिया गया था।  
 
इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े के लिए यूएन मानवाधिकार कार्यालय के प्रमुख अजीत सुंघे ने शुक्रवार को बताया कि अस्पतालों, स्कूलों और अन्य आश्रय स्थलों से फ़लस्तीनियों को बार-बार विस्थापित होने और छोटे इलाक़ों में सिमटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
 
वहीं, उनके पास दैनिक जीवन की गुज़र-बसर के लिए अतिआवश्यक वस्तुओं व सेवाओं की क़िल्लत है, और उनके अधिकारों का इस तरह से हनन, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत तयशुदा दायित्वों के निर्वहन में इसराइल की विफलता को दर्शाता है।
 
कोई स्थान सुरक्षित नहीं 
अजीत सुंघे ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि इसराइली सैन्य बलों की बमबारी उन इलाक़ों में भी जारी है, जिन्हें एकपक्षीय तौर पर सुरक्षित चिन्हित किया गया था। 
 
उन्होंने कहा कि अल मवासी में 22-23 जनवरी को धमाके सुनाई दिए जाने की ख़बरें मिलने के बाद भी, इसराइली सेना ने लोगों को पश्चिमी ख़ान यूनिस से वहाँ जाने के लिए कहा.
 
मानवाधिकार कार्यालय अधिकारी के अनुसार, 23, 24, 25 जनवरी को फिर से यह आदेश जारी किया गया, जिससे क़रीब 5 लाख लोग और तीन अस्पताल प्रभावित हुए हैं।  
 
अजीत सुंघे ने चिन्ता जताई है कि इस अराजकतापूर्ण माहौल में विशाल स्तर पर लोगों को जगह ख़ाली करने के आदेश दिए जाने से, फ़लस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, बल्कि यह उन्हें बेहद ख़तरनाक हालात की ओर धकेलते हैं।
 
स्वास्थ्य केन्द्रों पर हमले
इसराइली सैन्य बलों की हवाई कार्रवाई और फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों के बीच सड़कों पर लड़ाई के बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्वास्थ्य देखभालकर्मियों और मरीज़ों के प्रति अपनी चिन्ताओं को दोहराया है।
 
ग़ाज़ा में लड़ाई शुरू होने के बाद से अब तक स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर अब तक 318 हमले हो चुके हैं, जिनमें 615 लोगों की जान गई है और 778 घायल हुए हैं।
 
हिंसा के कारण 95 स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर असर हुआ है, और 36 अस्पतालों में से केवल 14 में ही कामकाज हो पा रहा है. इनमें सात दक्षिणी ग़ाज़ा में और सात उत्तरी ग़ाज़ा में हैं।  
 
ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रशासन की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक 26 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों की जान गई है, जिनमें क़रीब 75 प्रतिश महिलाएँ व बच्चे हैं. 60 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं और आठ हज़ार से अधिक लापता हैं, जिनके मलबे में दबे होने की आशंका है।
 
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने पश्चिमी तट में भी स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर हमलों में वृद्धि पर चिन्ता व्यक्त की है. एक अनुमान के अनुसार, पश्चिमी तट में 358 हमलों में सात लोगों की मौत हुई है और 59 घायल हुए हैं। 
 
इन हमलों में 44 स्वास्थ्य केन्द्रों पर असर हुआ है, जिनमें 15 सचल क्लीनिक और 245 ऐम्बुलेंस हैं।
 
ख़ान यूनिस, रफ़ाह में हताशा
यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अधिकारी अजीत सुंघे ने बताया कि दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित ख़ान यूनिस में लोगों में हताशा, क्रोध और थकान है। उनके स्कूलों, विश्वविद्यालयों को ध्वस्त किया गया है, जिससे भविष्य के लिए उनकी उम्मीदें बर्बाद हो गई हैं।
 
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में लगातार हमले हुए हैं, जिनसे ख़ान यूनिस के स्वास्थ्य केन्द्र, स्कूल, यूएन केन्द्र व रिहायशी इलाक़े भी नहीं बच पाए हैं।  
 
इस बीच, यूएन एजेंसी और अन्य साझीदार संगठनों ने रफ़ाह में हालात पर भी गहरी चिन्ता प्रकट की है, जहां इसराइली सेना द्वारा घर छोड़ने का आदेश दिए जाने के बाद लोग विस्थापित हुए हैं।
 
उनके पास आश्रय स्थल नहीं है, और उन्हें सड़कों पर गन्दगी से भरी परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, और इन हताशा भरे हालात में स्थिति दरक सकती है।
 
वहां क़रीब 13 लाख लोगों ने शरण ली हुई है, और हिंसा फैलने का जोखिम है, जिसके गम्भीर दुष्परिणाम हो सकते हैं।

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