शान्ति और सुरक्षा
ग़ाज़ा में कम से कम 100 बच्चों की मौतें, कुपोषण और भूख से चुकी हैं। इन हालात के मद्देनज़र मानवीय सहायता कर्मियों ने ज़रूरतमन्द लोगों को बेहतर चिकित्सा के लिए वहां से निकलाने में तेज़ी लाने और साथ ही अधिक भोजन सहायता पहुंचाए जाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी- UNRWA के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ये बच्चों की ये मौतें, ग़ाज़ा में बच्चों और बचपन के ख़िलाफ़ युद्ध का नवीनतम उदाहरण हैं। युद्ध से प्रभावित बच्चों में, बमबारी और हवाई हमलों में मारे गए या घायल हुए लगभग 40 हज़ार लड़के-लड़कियां और कम से कम 17 हज़ार ऐसे बच्चे शामिल हैं जो या तो अकेले हैं या अपने परिवार से बिछड़े हुए हैं।
साथ ही, दस लाख ऐसे बच्चे हैं जो गहरे सदमे में डूबे हुए हैं और जिन्हें शिक्षा नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा, बच्चे तो बच्चे ही होते हैं। जब बच्चों की मौत होती है या उन्हें बेरहमी से उनके भविष्य से वंचित किया जाता है, तो किसी को भी चुप नहीं रहना चाहिए, चाहे ये बच्चे ग़ाज़ा या किसी भी अन्य स्थान के हों।
इलाज के इन्तज़ार में
संयुक्त राष्ट्र के सहायता समन्वय मामलों की एजेंसी- OCHA का कहना है कि गाज़ा में हज़ारों बीमार बच्चों को बेहतर चिकित्सा के लिए तत्काल वहां से निकाले जाने की आवश्यकता है।
OCHA की प्रवक्ता ओल्गा चेरेवको ने बताया कि हालिया निकासी पिछले सप्ताह हुई थी जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गम्भीर रूप से बीमार 15 बच्चों को जॉर्डन भेजने में मदद की थी, लेकिन 14 हज़ार 800 से ज़्यादा लोग अब भी इसी तरह की मदद का इन्तेज़ार कर रहे हैं। ओल्गा चेरेवको ने यह सुनिश्चित किए जाने के महत्व पर ज़ोर दिया कि चिकित्सा के लिए निकासी अभियान जारी रहे ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की जान बचाई जा सके।
अधिक मदद की ज़रूरत
ओल्गा चेरेवको ने कहा कि पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त बच्चों और वयस्कों की स्थिति, कुपोषण के कारण और भी बदतर हो जाती है। उन्होंने कहा, अगर उन्हें स्वस्थ भोजन के ज़रिए उचित पोषण मिलता, तो ऐसी स्थिति नहीं होती, क्योंकि उनकी ये स्वास्थ्य हालत, मौजूदा भुखमरी संकट से पहले भी थे और वे अब जितने बीमार नहीं पड़ते थे।
इसलिए यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि ज़मीनी स्तर पर पर्याप्त मात्रा में सहायता सामग्री पहुंचाने के लिए उचित परिस्थितियां हों- भोजन से लेकर दवा, पोषण और आश्रय तक, सब कुछ। उन्होंने कहा, और ज़रूरतमन्द लोगों तक यह सहायता पहुंचाने के लिए हमें इन जीवनरेखाओं को वास्तव में सक्षम बनाना होगा।
भूख से मौतें
उनकी इस अपील के साथ ही ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि पिछले 24 घंटों में कुपोषण और भुखमरी के कारण तीन बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो गई। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में कहा, ऐसी ख़बरें रोज़मर्रा की बात हो गई हैं, जो गहराते मानवीय संकट और सहायता की तत्काल व निरन्तर आवश्यकता को दर्शाती हैं।
उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को ग़ाज़ा शहर के रनतिसी बाल अस्पताल में एक प्रशिक्षण भी आयोजित किया, जिसमें कुपोषण के उपचार पर ध्यान केन्द्रित किया गया। उन्होंने बताया, बच्चों में कुपोषण के मामलों में हालिया वृद्धि ने इन केन्द्रों की स्थापना और विस्तार को आवश्यक बना दिया है।
जनवरी से अब तक 340 से ज़्यादा बच्चों को कुपोषण के इलाज के लिए भर्ती कराया जा चुका है। 5 अगस्त तक कुपोषण से 49 बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से 39 बच्चों की उम्र पांच साल से कम थी। प्रवक्ता ने सवाल के जवाब में कहा, हो सकता है कि ऐसे और भी लोग हों जिनकी मौत उन्हीं कारणों से हुई हो जिनका रिकॉर्ड न तो संगठन ने और न ही स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने दर्ज किया हो।
सदमा और मानसिक समस्याएं
अन्य घटनाक्रमों की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदारों ने जुलाई में ग़ाज़ा में 900 से ज़्यादा परिवारों से आंकड़े एकत्र किए थे जिनसे मालूम होता है कि लगातार सदमे के कारण चिन्ता और अवसाद सहित मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
देखभाल कर्मचारी भी सदमे से पीड़ित हैं और सुरक्षा क्षेत्र में काम करने वाले सहयोगियों ने अपने कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य व मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना शुरू कर दिया है। इस बीच, ग़ाज़ा पट्टी में सहायता पहुंचाने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयास जारी हैं। यूएन टीमों ने मंगलवार को कैरेम शेलॉम और ज़िकिम सीमा चौकियों से भोजन व ईंधन एकत्र किया और अन्य मिशन भी जारी हैं।