Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भारतीय तैराकी का इतिहास नहीं बदल सके साजन, गुरुवार को मिलेगा सेमीफाइनल में जाने का आखिरी मौका

हमें फॉलो करें भारतीय तैराकी का इतिहास नहीं बदल सके साजन, गुरुवार को मिलेगा सेमीफाइनल में जाने का आखिरी मौका
, सोमवार, 26 जुलाई 2021 (17:24 IST)
टोक्यो: जब दूसरे खेलों के अनुभवी खिलाड़ी दूसरे तीसरे राउंड में बाहर हो रहे हैं तो तैराकी में कुछ बड़ी उपलब्धि की अपेक्षा करना बेमानी था। भारतीय तैराकों ने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया यह ही बड़ी बात है।
 
भारतीय तैराक साजन प्रकाश सोमवार को यहां हीट दो में चौथे स्थान पर रहते हुए तोक्यो ओलंपिक की पुरुष 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा के सेमीफाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहे। पिछले महीने इटली में एक मिनट 56.38 सेकेंड के समय के साथ निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए ओलंपिक का ‘ए’ क्वालीफाइंग स्तर हासिल करने वाले साजन एक मिनट 57.22 सेकेंड के समय के साथ 38 तैराकों के बीच 24वें स्थान पर रहे। शीर्ष 16 तैराकों ने सेमीफाइनल में जगह बनाई।
 
साजन गुरुवार को 100 मीटर बटरफ्लाई में चुनौती पेश करेंगे।ओलंपिक में हिस्सा ले रहे दो अन्य भारतीय तैराक माना पटेल और श्रीहरि नटराज पहले ही प्रतियोगिता से बाहर हो चुके हैं। नटराज ने भी अपनी स्पर्धा में ‘ए’ कट हासिल किया था। माना पटेल ने विश्वविद्यालय कोटा से ओलंपिक में जगह बनायी थी।
webdunia

तैराकी में कभी सेमीफाइनल में नहीं पहुंचा भारत  
 
भारत ने पहली बार 1932 में ओलंपिक तैराकी में हिस्सा लिया और 2016 तक कुल 26 तैराकों (20 पुरुष, छह महिलाएं) ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है लेकिन इनमें से कोई भी सेमीफाइनल के लिये भी क्वालीफाई नहीं कर पाया।
 
नलिन मलिक ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय तैराक थे। उन्होंने 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में 400 मीटर और 1500 मीटर फ्रीस्टाइल में हिस्सा लिया था लेकिन अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे थे।
 
लंदन ओलंपिक 1948 में भारत के सात तैराकों ने हिस्सा लिया था। पुरुष 100 मीटर फ्रीस्टाइल में तीन भारतीय सचिन नाग, दिलीप मित्रा और इसाक मंसूर उतरे लेकिन सभी अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे। हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में डॉली नजीर और आरती साहा के रूप में दो भारतीय महिला तैराक पहली बार ओलंपिक में तरणताल में उतरी थी।
 
इसके बाद लंबे समय तक कोई भारतीय तैराक ओलंपिक में जगह नहीं बना पाया था। खजान सिंह ने सियोल ओलंपिक 1988 में भाग लिया लेकिन पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में 28वें स्थान पर रहे।
 
अटलांटा ओलंपिक 1996 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली संगीता पुरी इससे पहले त्रिनिदाद एवं टोबैगो की तरफ से मध्य एवं कैरेबियाई अमेरिकी खेलों में हिस्सा ले चुकी थी। संगीता पुरी ने जब ओलंपिक में भाग लिया तो वह 16 साल 236 दिन की थी और इस तरह से भारत की सबसे कम उम्र की ओलंपिक तैराक बनी थी।
 
इसके बाद निशा मिलेट, शिखा टंडन, वीरधवल खाड़े और संदीप सेजवाल जैसे तैराकों ने भी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन कोई भी प्रभावित नहीं कर पाया। साजन प्रकाश ने रियो ओलंपिक 2016 में भी हिस्सा लिया था लेकिन वह पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में 28वें स्थान पर रहे थे।
 
ओलंपिक तैराकी में शुरू से अमेरिका का दबदबा रहा। उसे इस बीच हालांकि आस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान आदि से चुनौती मिलती रही है। अमेरिका के नाम पर रियो ओलंपिक तक तैराकी में 248 स्वर्ण सहित 553 पदक दर्ज थे। अमेरिका के माइकल फेल्प्स को तरणताल का बादशाह कहा जाता है। उन्होंने ओलंपिक में 23 स्वर्ण सहित 28 पदक जीते हैं। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Tokyo Olympics: विकास और मनीष के बाद आशीष भी हुए बाहर, मुक्केबाजी में भी बुरा हाल