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नया आसमां
, रविवार, 1 सितम्बर 2013 (16:09 IST)
कोई नई ज़मीं हो, नया आसमां भी हो,ऐ दिल अब उसके पास चलें, वो जहां भी होमहबूब वो कि सर से क़दम तक ख़ुलूस हो,आशिक़ वही जो इश्क़ से कुछ बदगुमां भी हो।-
फ़िराक़ गोरखपुरी(
ख़ुलूस = निष्कपटता)