वसंत ऋतु छाई हुई थी। राजा कृष्णदेव राय बहुत ही प्रसन्न थे। वे तेनालीराम के साथ बाग में टहल रहे थे।
वे चाह रहे थे कि एक ऐसा उत्सव मनाया जाए जिसमें उनके राज्य के सारे लोग सम्मिलित हों। पूरा राज्य उत्सव के आनंद में डूब जाए। इस विषय में वे तेनालीराम से भी राय लेना चाहते थे।
तेनालीराम ने राजा की इस सोच की प्रशंसा की और इस प्रकार विजयनगर में राष्ट्रीय उत्सव मनाने का आदेश दिया गया। शीघ्र ही नगर को स्वच्छ करवा दिया गया, सड़कों व इमारतों पर रोशनी की गई। पूरे नगर को फूलों से सजाया गया। सारे नगर में उत्सव का वातावरण था।