hartalika teej ke niyam: हिंदू धर्म में, ऋषि पंचमी का व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलतियों और दोषों के प्रायश्चित के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और महिलाओं को ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन सप्त ऋषियों (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ, गौतम, जमदग्नि और विश्वामित्र) की पूजा की जाती है। इस व्रत में कुछ विशेष नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है, खासकर खान-पान के मामले में। आइए जानते हैं कि इस दिन महिलाओं को किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
ऋषि पंचमी व्रत में क्या न खाएं?
जिन महिलाओं ने ऋषि पंचमी का व्रत रखा है, उन्हें कुछ खास चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। ये नियम इस व्रत के महत्व को और भी बढ़ा देते हैं:
1. हल से जुती हुई चीजें: ऋषि पंचमी व्रत में, हल से जुती हुई चीजों का सेवन पूरी तरह से वर्जित है। इसका अर्थ है कि महिलाएं उन अनाजों या सब्जियों का सेवन नहीं कर सकतीं, जिन्हें हल चलाकर खेतों में उगाया गया हो।
2. जमीन में बोया अनाज: इस दिन चावल, गेहूं, मक्का, जौ और किसी भी प्रकार की दालें जैसे चना, मसूर, अरहर आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ये सभी अनाज जमीन में बोए जाते हैं और हल से जुताई के बाद ही पैदा होते हैं।
3. तामसिक भोजन: ऋषि पंचमी के दिन घर में किसी भी तरह का तामसिक भोजन नहीं बनाना चाहिए। लहसुन और प्याज का प्रयोग भी पूरी तरह से वर्जित होता है। माना जाता है कि तामसिक भोजन व्रत की शुद्धता को भंग करता है और इसके दोष जीवन भर भुगतने पड़ सकते हैं।
व्रत में क्या खाएं?
इन नियमों के बावजूद, महिलाएं व्रत के दौरान फलाहार कर सकती हैं। वे फल, सब्जियां, दूध और दही का सेवन कर सकती हैं। इस दिन विशेष रूप से उन चीजों का सेवन करना चाहिए जो बिना हल जोते और बिना जमीन में बोए उगती हैं।
व्रत का महत्व
यह व्रत महिलाओं को शुद्धता और पवित्रता का महत्व सिखाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मासिक धर्म के दौरान अनजाने में हुई गलतियों का प्रायश्चित करना है। महिलाएं सात ऋषियों की पूजा करके उनसे आशीर्वाद लेती हैं ताकि उनका जीवन सुखमय और दोषमुक्त हो सके। यह व्रत न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि मन और आत्मा को भी पवित्र बनाता है। इसलिए इस व्रत को श्रद्धा और नियमों के साथ करना बहुत जरूरी है।
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