शिक्षक दिवस पर कविता : सरस्वती माता का सम्मान

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
शुक्रवार, 30 अगस्त 2024 (15:35 IST)
दादा-दादी की आंखों का,
मैं ठंडक का चश्मा हूं।
नाना-नानी के सपनों का,
जीता हुआ मुकदमा हूं।
 
मैं पापा के जिगर का टुकड़ा,
मम्मीजी के प्राण हूं।
बड़ी बहन की नजरों से मैं,
एक सफल अभियान हूं।
 
मेरे मित्र ढूंढ़ते मुझमें,
जन सेवा का जन नायक।
मेरे शिक्षक कहते मुझसे,
बनना तुम्हें सफल गायक।
 
सभी पडोसी कहते 'तुम हो',
हीरो हिंदुस्तान के।
उद्धारक हो, संचालक हो,
अपने देश महान के|
 
लेकिन मुझको क्या बनना है,
बात किसी ने न जानी।
सबने ही थोपी है मेरे,
ऊपर अपनी मनमानी।
 
मुझको तो शिक्षक बनना है,
विद्या दान करूंगा मैं।
सरस्वती माता का जीवन,
भर सम्मान करूंगा मैं।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Health Alert : क्या ये मीठा फल डायबिटीज में कर सकता है चमत्कार? जानिए यहां

Style Secrets : स्मार्ट फॉर्मल लुक को पूरा करने के लिए सॉक्स पहनने का ये सही तरीका जान लें, नहीं होंगे सबके सामने शर्मिंदा

लाल चींटी काटे तो ये करें, मिलेगी तुरंत राहत

बिना महंगे प्रोडक्ट्स के टैन को करें दूर, घर पर बनाएं ये नेचुरल DIY फेस पैक

सर्दियों में रूखी त्वचा को कहें गुडबाय, घर पर इस तरह करें प्राकृतिक स्किनकेयर रूटीन को फॉलो

सभी देखें

नवीनतम

kids jokes : बाल दिवस पर भाषा ज्ञान

पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में 10 लाइन

मजेदार बाल गीत : सपने सच कर डालो

सांस लेने में हो रही है परेशानी? सावधान, कहीं हो ना जाएं ब्रोंकाइटिस के शिकार

अगला लेख
More