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ऐसे हों हमारे गुरु...

- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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गुरु या शिष्य होना मुश्किल है। यदि हम प्राचीन भारत की 'गुरुकुल' परंपरा का आँकलन करें तो गुरु होने के लिए कठिन तप से गुजरना होता है। दूसरी ओर सैंकड़ों शिष्यों में से कोई एक-दो शिष्य ही ऐसे निकलते हैं जिन्हें गुरु अपना‍ सिक्रेट देता है।

एक मठ में बौद्ध गुरु अपने शिष्यों को सभी तरह की शिक्षा देता था। उस शिक्षा के अंतर्गत वह संसार में जीने की कला और संन्यास में मरने की कला सिखाता था। दोनों के लिए उसने सिखने के कुछ कॉमन नियम बनाए थे। उसमें से एक था- 'स्टॉप मेडिटेशन।'

उसने सभी शिष्यों को कह रखा था कि तुम अपनी मर्जी से कुछ भी कार्य कर रहे हों, पढ़ना, खेलना या अन्य कुछ भी, लेकिन यदि उस दौरान मैं तुम्हें कहूँ 'स्टॉप' तो तुम सभी तब तक स्‍थिर हो जाना जब तक कि मैं 'रिलेक्स' नहीं कहूँ।

गुरु कभी भी कहीं भी किसी भी समय कह देता था- 'स्टॉप' और सभी शिष्य जो जहाँ जैसी भी स्थिति में होत था वह 'स्थिर' हो जाता था। एक दिन सभी शिष्य लाइनबद्ध होकर एक नदी पार कर रहे थे। जिस जगह से वह नदी पार कर रहे थे वहाँ घुटने-घुटने तक ही पानी था।

टीचर्स डे
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जब सभी शिष्य नदी के मध्य उतर गए तब अचानक गुरु ने जोर से कहा- 'स्टॉप'। सभी शिष्य घुटने घुटने तक के पानी में खड़े थे- वहीं स्थिर हो गए। कुछ वक्त गुजरा लेकिन गुरु ने नहीं कहा 'रिलेक्स'। फिर कुछ वक्त और गुजरा तो सभी शिष्यों ने महसूस किया और देखा भी की जल का स्तर बढ़ रहा है। गुरु ने भी देखा की कहीं से नदी में पानी आ गया और पानी बढ़ने लगा।

जो पानी घुटने तक था वह कमर तक पहुँच गया, लेकिन सभी शिष्य गुरु के आदेश के पालन के तहत स्थिर खड़े रहे। जो जिस स्थिति में था उसी स्थिति में खड़ा रहा। फिर पानी और बढ़ा छाती तक आ गया तो कुछ शिष्य ने हिम्मत छोड़ दी और रिलेक्स होकर नदी को पार कर गए। फिर पानी और बढ़ा तो गर्दन तक पहुँच गया तब एक शिष्य को छोड़कर सभी ने गुरु के 'रिलेक्स' कहने का इंतजार करना छोड़कर तैरकर नदी पार कर ली।

गुरु ने देखा की एक शिष्य को छोड़कर सभी अपनी जान बचा कर नदी पार कर गए। गुरु ने कुछ देर और देखा उस शिष्य के सिर के ऊपर से पानी बहने लगा था। उस पार खड़े शिष्य चिल्लाकर कहने लगे भंते ‍स्टॉपलेस हो जाएँ और अपनी जान बचा लो, ये गुरु तो पागल हो गया है। लेकिन उस शिष्य को उनकी आवाज का कोई असर नहीं हुआ।

कुछ देर बाद जब पानी और बढ़ गया तब गुरु ने नदी में छलाँग लगाकर उस शिष्य के पास जाकर कहा- 'रिलेक्स' तुम आज से मेरी शिक्षा के अधिकारी हो।

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