देश की सबसे बड़ी टायर बनाने वाली कंपनी मद्रास रबड़ फैक्ट्री को एमआरएफ (MRF) के नाम से जाता है। इस दिग्गज कंपनी ने मंगलवार को शेयर बाजार में उस समय इतिहास रच दिया जब कंपनी के शेयर की कीमत 1,00,000 रुपए के पार चली गई थी। बुधवार को कंपनी की मार्केट कैपिटल 42,390 करोड़ रुपए थी और यह भारत की टॉप 100 कंपनियों में भी शामिल नहीं थी।
27 अप्रैल 1993 को लिस्टिंग के समय इसके 1 शेयर की कीमत 11 रुपए थी। 2001 में 1200 रुपए पर पहुंच गया। 2012 में पहली बार इसने 10,000 के आंकड़े को छुआ।
जुलाई 21 में MRF के एक शेयर की कीमत 80 हजार रुपए थी। हालांकि मार्च 2022 में यह गिरकर 65,000 ही रह गई। इसके बाद कंपनी के शेयरों ने तेजी पकड़ी और मात्र 15 माह में इसमें 35,000 अंकों की बढ़ोतरी हुई और 23 जून 2023 में इसका शेयर 1 लाख 440 रुपए पर पहुंच गया।
भले ही शेयर बाजार में इसके एक शेयर की कीमत 1 लाख के पार पहुंच गई लेकिन इसके बाद भी इसे मोस्ट वैल्यूएबल शेयर नहीं कहा जा सकता। कंपनी को पैसों की आवश्यकता नहीं है इसलिए इसे तोड़ा नहीं गया। इसके दाम बढ़ते गए और यह शेयर आम निवेशकों की जेब से दूर हो गया।
मार्केट कैपिटल के हिसाब से 17 लाख करोड़ रुपए के साथ रिलायंस पहले और 11.8 लाख करोड़ के साथ TCS दूसरे नंबर पर है।
शेयर बाजार विशेषज्ञ योगेश ने बताया कि कंपनी ने शेयर को स्पिल्ट नहीं किया और कभी बोनस नहीं दिया। हालांकि कंपनी ने अपने निवेशकों को समय समय पर डिविडेंड जरूर दिया। उन्होंने कहा कि वॉल्यूम कम होने की वजह से MRF के शेयरों की बाजार में मांग कम रही। आम निवेशकों का इस पर कभी ध्यान नहीं गया। इसके ज्यादातर शेयर UNHI के पास है। कई म्यूचुअल फंड्स ने भी इसमें निवेश कर रखा है। बहरहाल जिन लोगों के पास इसके शेयर पड़े थे, उन्हें इसका फायदा जरूर मिला।
केएम मामेन मापिल्लई ने 1952 में MRF की स्थापना की थी। इसके 4 वर्ष बाद 1956 में ये टायर कंपनी बनी। दुनिया की 14वें नंबर की सबसे बड़ी टायर निर्माता कंपनी धागे, ट्यूब और कन्वेयर बेल्ट, पेंट और खिलौने सहित कई रबर उत्पादों का निर्माण करती है। इसमें 16,194 कर्मचारी काम करते हैं।