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चुनौतियों के बावजूद सेंसेक्स ने 2021 में तोड़े सारे रिकॉर्ड

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, रविवार, 26 दिसंबर 2021 (17:09 IST)
नई दिल्ली। कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 महामारी से जुड़े जोखिमों के बीच भारतीय शेयर बाजार ने वर्ष 2021 में शानदार प्रतिफल देते हुए पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसमें वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी भारी नकदी के साथ ही मददगार घरेलू नीतियों और दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का भी अहम योगदान रहा।

दूसरी ओर कई कंपनियों के मूल्यांकन में अत्यधिक बढ़ोतरी को लेकर चिंताएं भी देखने को मिलीं। व्यापक अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार और गिरावट के बीच फंसी थी, लेकिन शेयर बाजार के सूचकांक सिर्फ ऊपर की ओर चढ़ते रहे। इस दौरान देश में सभी सूचीबद्ध शेयरों का कुल मूल्यांकन 72 लाख करोड़ रुपए बढ़कर लगभग 260 लाख करोड़ रुपए तक चला गया।

बीएसई सेंसेक्स ने इस साल पहली बार 50,000 अंक को पार कर इतिहास बनाया और अगले सात महीनों के भीतर 60,000 के स्तर को भी पार कर गया। सूचकांक 18 अक्टूबर को अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 61,765.59 पर बंद हुआ था।

हालांकि इसके बाद कोरोनावायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के खतरे की आशंका के चलते सेंसेक्स में गिरावट आई है। इसके बावजूद सूचकांक ने इस साल निवेशकों को लगभग 20 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है। सेंसेक्स दुनिया के बड़े बाजारों में सबसे महंगा भी है जिसका मूल्य एवं आय अनुपात 27.11 है।

इसका मतलब है कि निवेशक सेंसेक्स की कंपनियों को भविष्य की कमाई के प्रत्‍येक रुपए के लिए 27.11 रुपए का भुगतान कर रहे हैं, जबकि पिछले 20 साल का औसत 19.80 है। वैसे भारतीय बाजार इस तरह का उत्साह देखने वाला अकेला बाजार नहीं है।

महामारी की शुरुआत के बाद से अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नेतृत्व में वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने नकदी को बढ़ावा देने और वृद्धि को गति देने के लिए वित्तीय बाजारों में खरबों डॉलर का निवेश किया है। फेडरल रिजर्व पिछले डेढ़ साल से हर महीने 120 अरब अमेरिकी डॉलर के बांड खरीद रहा है, जिससे इसका बही-खाता लगभग दोगुना होकर 8300 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है।

जूलियस बीयर के कार्यकारी निदेशक नितिन रहेजा ने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत और अर्थव्यवस्था के तेजी से पुनरुद्धार के साथ आशावाद की लहर पर इस साल की शुरुआत हुई। हालांकि बाद में दूसरी लहर की तीव्रता, मुद्रास्फीति और आपूर्ति श्रृंखला में बाधा जैसी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि कम ब्याज दरों, नई पीढ़ी के सुधारों, पूंजी की पर्याप्त उपलब्धता और रियल एस्टेट क्षेत्र के पुनरुद्धार के चलते बाजार में तेजी रही। इस तेजी के बावजूद एक सबक यह भी है कि मूल्यांकन और बुनियादी मजबूती मायने रखते हैं और पेटीएम के आईपीओ में यह देखने को भी मिला।(भाषा)

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